सपा BJP की B टीम?, समर्थकों की उड़ी नींद

सपा BJP की B टीम?, समर्थकों की उड़ी नींद

दोस्तो टिकट बदलू अखिलेश यादव के फैसले एक के बाद एक करके ये साबित करते जा रहे हैं कि दाल में कुछ तो काला है. जिस तरीके से अखिलेश रोज़ अपने प्रत्याशियों के टिकट बदल रहे हैं… उससे ये सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अखिलेश ये सब बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए कर रहे हैं.

जिस तरीके से अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ रहे हैं उससे ये शक पैदा होता है कि कहीं ओपी राजभर की बात सही तो नहीं?

दोस्तो 24 मार्च को सुभासपा यानी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चीफ ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर बीजेपी की मदद करने का बड़ा आरोप लगाया था.

राजभर ने कहा था कि अखिलेश यादव नहीं चाहते कि समाजवादी पार्टी और उसके साथी दल बीजेपी के सामने कोई चुनौती पेश करें. राजभर ने दावा किया था कि अखिलेश ने खुद अपने सभी सहयोगी दलों से कहा कि भाजपा की तरफ चले जाओ. सपा के साथ रहोगे तो चुनावी लड़ाई होगी. राजभर ने कहा कि अखिलेश यादव नरेंद्र मोदी की मदद करने को बेकरार हैं.

राजभर के मुताबिक ये सब अखिलेश ईडी और सीबीआई से बचने के लिए कर रहे हैं. राजभर ने सवाल उठाया कि आखिर अखिलेश के यहां ईडी-सीबीआई क्यों नहीं आती. राजभर ने कहा कि बीजेपी की मदद के लिए ही उन्होंने अपने सभी दलों से रिश्ता तोड़ लिया.

एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में राजभर ने कहा कि उन्होंने 7 महीने पहले ही कहा था कि कुछ समय के बाद विपक्षी एकता के कुछ लोग सटकर मोदीजी को प्रधानमंत्री बनाएंगे और कुछ लोग हटकर. नीतीश जी सट गए। जयंत जी सट गए। ममता जी हट गईं। अब अखिलेश जी भी हट कर बीजेपी की मदद करने के लिए एकदम आतुर हैं.

राजभर के दावों में दम इसलिए नज़र आता है क्योंकि रोज़ाना समाजवादी पार्टी के किसी ना किसी उम्मीदवार का टिकट बदलने की खबर आम हो गई है. अनुमान है कि अब तक अखिलेश यादव 8 से 10 प्रत्याशियों का टिकट बदल चुके हैं. कई सीटों पर तो अखिलेश तीन तीन नाम घोषित कर चुके हैं. सबसे चर्चा में है मेरठ लोकसभा सीट जहां अतुल प्रधान का भी टिकट काट दिया गया है.

इस सीट से अतुल प्रधान ने बुधवार यानी 3 अप्रैल को नोमिनेशन किया था लेकिन अगले ही दिन यानी चार अप्रैल को अतुल प्रधान का टिकट काटकर पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा को प्रत्याशी बना दिया गया.

सबसे पहले सपा ने मेरठ लोकसभा सीट पर भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया था. उसके बाद पार्टी ने अतुल प्रधान को प्रत्याशी बनाया. और फिर सुनीता वर्मा को चुनावी मैदान में उतार दिया.

इसके अलावा सपा मुरादाबाद, बागपत, वाराणसी और बदायूं जैसी सीटों पर भी अपने प्रत्याशी बदल चुकी है. बागपत सीट पर भी सपा ने बुधवार को प्रत्याशी मनोज चौधरी का टिकट काटकर अमरपाल शर्मा को उम्मीदवार घोषित कर दिया.

इसके अलावा बिजनौर लोकसभा सीट पर भी सपा ने प्रत्याशी बदल दिया था. पार्टी ने यहां पहले यशवीर सिंह को टिकट दिया था. बाद में नूरपुर के सपा विधायक राम अवतार सैनी के पुत्र दीपक सैनी को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया.

इसी तरह मुरादाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भी सपा की भयंकर लड़ाई सामने आई थी. समाजवादी पार्टी ने पहले डॉक्टर एसटी हसन को प्रत्याशी घोषित कर दिया था लेकिन बाद में आजम खान की करीबी रुचि वीरा को मैदान में उतार दिया गया.

इसके अलावा अखिलेश यादव ने वाराणसी सीट से सुरेंद्र सिंह पटेल को पीएम मोदी के सामने टिकट दिया था लेकिन जब ये सीट गठबंधन के तहत कांग्रेस के खाते में चली गई तो सुरेंद्र सिंह पटेल का पत्ता कट गया.

इसके अलावा अखिलेश यादव ने आरएलडी की मजबूत सीट बागपत सीट से भी कैंडिडेट बदल दिया था. उन्होंने पहले यहां से मनोज चौधरी मैदान में उतारा लेकिन बाद में अमरपाल शर्मा को टिकट दे दिया.

इसके अलावा बदायूं में पहले धर्मेंद्र यादव को कैंडिडेट बनाया गया था. उसके बाद अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव को टिकट दे दिया और अब चर्चा है कि शिवपाल के पुत्र आदित्य यहां से चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

कुल मिलाकर टिकट बदली के इस खेल और ओपी राजभर के दावों से वाकई ऐसा लगता है कि अखिलेश यादव जानबूझकर अपनी पार्टी को बरबाद करने पर तुले हैं. बार बार टिकट बदलने से न सिर्फ गुटबाज़ी को बढ़ावा मिल रहा है बल्कि आम कार्यकर्ता भी कन्फ्यूज़ और निराश होता जा रहा है. आपको क्या लगता है अपनी राय कॉमेंट में ज़रूर लिख कर बताएं.

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