Delhi Tourism दिल्ली Best Places to visit in Delhi

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Top Places to visit in Delhi

Delhi Travel Guide

Delhi में घूमने के लिए बेस्ट जगह

आज Delhi दिल्ली भारत की राजधानी है लेकिन एक वक्त था जब Delhi दिल्ली मुगल काल में मुगलों की शान थी। उस वक्त Delhi दिल्ली जीतने का मतलब इतिहास में नाम दर्ज होना होता था। Delhi दिल्ली पर एक से बड़े एक और दिग्गज बादशाहों ने राज किया है।

Delhi दिल्ली का इतिहास बहुत लम्बा-चौड़ा और उतार-चढ़ावों से भरा है। ये इतिहास ऐतिहासिक इमारतों, दीवारों और मीनारों में रचा बसा है और इन सबसे मिलकर ही बना है. इसी विरासत और इतिहास की वजह से शायद दिल्ली को देश की राजधानी बनाया गया।

कहा जाता है कि Delhi दिल्ली दिल वालों का शहर है जहाँ इतिहास और वर्तमान हाथ थामे चलते हैं।

Delhi दिल्ली शहर ने बहुत सी अलग-अलग संस्कृतियों को अपनाया है और उन संस्कृतियों की झलक इस मेट्रोपोलिटन सिटी की इमारतों, कला, खानपान, रहन-सहन, त्यौहारों और जीवनशैली में दिखाई भी देती है।

इस शहर में घूमने के लिए इतनी सारी ऐतिहासिक जगहें हैं, जिन्हें देखकर आप खुश हो जाएंगे। वैसे आज लोगों के दिलो दिमाग में Delhi दिल्ली शहर की तस्वीर बदल गई है। आज देश की राजधानी दिल्ली शहर को हम भीड़, ट्रैफिक जाम, अपराध की राजधानी और प्रदूषण की वजह से ज्यादा जानने लगे हैं।

वैसे ऐसा नहीं है कि Delhi दिल्ली का दूसरा रूप उतना बदरंग है। आज भी दिल्ली अपने इतिहास की वजह से जानी जाती है और उस इतिहास की तरह दिल्ली आज भी काफी खूबसूरत है। यहां आज भी मीनारें हैं और दीवारों से घिरे किले हैं। कोई भी टूरिस्ट या मुसाफिर अगर ऐतिहासिक चीजों को देखने का शौक रखता है तो दिल्ली उसे निराश नहीं करेगी।

Delhi दिल्ली की यात्रा करने वालों के लिए यहां देखने को बहुत कुछ है।इस पोस्ट के ज़रिए हम आपको बता रहे हैं दिल्ली की कुछ ऐतिहासिक इमारतों, प्रमुख पर्यटन स्थलों और ऐतिहासिक जगहों के बारे में.

अक्षरधाम मंदिर

Delhi दिल्ली में स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर 10,000 वर्ष पुरानी भारतीय संस्कृति के प्रतीक को बहुत विस्मयकारी, सुंदर, बुद्धिमत्तापूर्ण और सुखद रूप में पेश करता है। ये भारतीय शिल्पकला, परंपराओं और प्राचीन आध्यात्मिक संदेशों के तत्वों को शानदार ढंग से दिखाता है। अक्षरधाम मंदिर ज्ञानवर्धक यात्रा का एक ऐसा अनुभव है जो मानवता की प्रगति, खुशियों और सौहार्दता के लिए भारत की शानदार कला, मूल्यों और योगदान का ब्यौरा देता है।

स्वामीनारायण अक्षरधाम परिसर का निर्माण कार्य एचडीएच प्रमुख बोचासन के स्वामी महाराज श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के आशीर्वाद से और 11,000 कारीगरों और हज़ारों बीएपीएस स्वयंसेवकों के विराट धार्मिक प्रयासों से केवल पांच साल में पूरा हुआ। गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज विश्व के सबसे बड़े विस्तृत हिंदू मंदिर, परिसर का उद्घाटन 6 नवंबर, 2005 को किया गया था।

भगवान स्वामीनारायण को समर्पित एक पारंपरिक मंदिर भारत की प्राचीन कला, संस्कृति और शिल्पकला की सुंदरता और आध्यात्मिकता की झलक प्रस्तुत करता है।

नीलकण्ठ वर्णी अभिषेक
एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक परंपरा, जिसमें वैश्विक शांति और व्यक्ति, परिवार और मित्रों के लिए अनवरत शांति की प्रार्थनाएं की जाती हैं जिसके लिए भारत की 151 पवित्र नदियों, झीलों और तालाबों के पानी का उपयोग किया जाता है।

कार्यक्रम-शोज़-प्रदर्शनियां

हॉल ऑफ़ वैल्यूज़ (50 मिनट)

अहिंसा, ईमानदारी और आध्यात्मिकता का उल्लेख करने वाली फिल्मों और रोबोटिक शो के माध्यम से चिरस्थायी मानव मूल्यों का अनुभव।

विशाल पर्दे पर फिल्म (40 मिनट)

इस फिल्म में नीलकण्ठ नाम के एक 11 वर्षीय योगी की अविश्वसनीय कथा के माध्यम से भारत की जानकारी दी जाती है जिसमें भारतीय रीति-रिवाज़ों को संस्कृति और आध्यात्मिकता के माध्यम से जीवन-दर्शन में उतारा गया है, इसकी कला और शिल्पकला का सौंदर्य तथा अविस्मरणीय दृश्यावलियों, ध्वनियों और इसके प्रेरक पर्वों की शक्ति का अनुभव किया जा सकता है।

कल्चरल बोट राइड (15 मिनट)

ये बोट राइड भारत की शानदार विरासत के 10,000 वर्षों का सफ़र कराती है। इसमें भारत के ऋषियों-वैज्ञानिकों की खोजों और आविष्कारों की जानकारी ली जा सकती है। विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय तक्षशिला, अजंता-एलौरा की गुफाएं और प्राचीन काल से ही मानवता के प्रति भारत के योगदान की जानकारी भी इस राइड में दी जाती है।

संगीतमय फव्वारा – जीवन चक्र (सूर्योदय के बाद सायंकाल में – 15 मिनट)

एक दर्शनीय संगीतमय फव्वारा शो, जिसमें भारतीय दर्शन के अनुरूप जन्म, जीवनकाल और मृत्यु चक्र का उल्लेख किया जाता है।

गार्डन ऑफ इंडिया
लोटस गार्डन

मंदिर परिसर में कमल के आकार का एक बागीचा उस आध्यात्मिकता का आभास देता है, जो दर्शनशास्त्रियों, वैज्ञानिकों और लीडरों द्वारा व्यक्त की जाती है।

जंतर मंतर
जंतर मंतर राजधानी Delhi दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस के बीचों-बीच स्थित है। जंतर-मंतर प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है। जंतर मंतर का निर्माण महाराजा जयसिंह द्वीत्तीय ने 1724-1725 में करवाया था। ये जयपुर के शासक महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा बनवायी गयी ऑब्जर्वेटरी में से एक है। उन्होंने दिल्ली के साथ जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में भी इनका निर्माण कराया था। मोहम्मद शाह के शासन काल में हिंदू और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों की स्थिति को लेकर बहस छिड़ गई थी। जयसिंह ने इसे खत्म करने के लिए जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था। इसमें मौजूद विशालकाय उपकरण खगोलीय गणनाओं में मददगार हुआ करते थे। यहाँ ऐसे कई उपकरण मौजूद हैं जो खगोलीय ब्रह्माण्ड से जुड़ी दिव्य गणनाओं और ग्रहणों के पूर्वानुमान लगाने में मदद करते थे। इसमें बड़ा सन डायल भी है जिसे प्रिंस ऑफ डायल कहा जाता है।

पुराना किला
पुराना किला Delhi दिल्ली के सबसे प्राचीन किलों में से एक है। ये एक आयताकार किला है। इसके मुख्य दरवाजे के अंदर एक छोटा-सा पुरातत्व संग्रहालय है। हर शाम यहाँ ‘साउंड एंड लाइट शो’ होता है। इसका निर्माण सूरी साम्राज्य के संस्थापक शेर शाह सूरी ने किया था। शेर शाह सूरी ने इसके आस-पास के शहरी इलाके के साथ ही इस गढ़ को बनाया था। 1540 में शेर शाह सूरी ने हुमायूँ को पराजित किया और किले का नाम शेरगढ़ रखा गया। तब किले के परिसर में और भी बहुत सी चीजों का निर्माण करवाया गया। पुराना किला और इसके आस-पास के परिसर में विकसित हुई जगहों को “दिल्ली का छठा शहर” भी कहा जाता है।

लाल किला
वैसे तो दिल्ली में घूमने के लिए कई सारी जगहें हैं, लेकिन लाल किले की बात ही कुछ और ही है। लाल पत्थर से बना दिल्ली का लाल किला पारसी, यूरोपीय और भारतीय स्थापत्य कला का मेल होने के कारण अपनेआप में अनूठा है। हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं। शाहजहां ने 1638 में ये किला बनवाया था जिसे बनने में 10 साल का समय लगा था। ऐतिहासिक तौर पर महत्वपूर्ण लाल किला लाल रंग के बलुआ पत्थर से बने होने के कारण लाल किला कहलाया। इसमें मौजूद दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, रंग महल, खास महल, हमाम, नौबतखाना, हीरा महल और शाही बुर्ज लाल किले की ऐतिहासिक और यादगार इमारतें हैं।

कुतुब मीनार
दिल्ली में मौजूद कुतुब मीनार दुनिया की सबसे बड़ी ईंटों की मीनार है. कुतुब मीनार अफ़गान वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मोहाली की फ़तह बुर्ज के बाद कुतुब मीनार भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीनार है। इसकी ऊँचाई 72.5 मीटर है। इसका व्यास इसकी 2.75 मी. की ऊंचाई से आधार तक आते-आते 14.32 मी. हो जाता है। इसकी मंजिलें कोण वाले तथा गोलाकार कंगूरों से सजाई गई हैं। प्राचीन काल से ही क़ुतुब मीनार का इतिहास चलता आ रहा है। दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसका निर्माण 1193 में करवाया था।दिल्ली के अंतिम हिन्दू शासक की पराजय के तत्काल बाद कुतुबुद्धीन ऐबक द्वारा इसे 73 मीटर ऊंची विजय मीनार के रूप में निर्मित कराया गया।

कुतुब मीनार के आस-पास का परिसर कुतुब कॉम्पलेक्स से घिरा हुआ है, जो कि एक UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साईट भी है। कुतुब मीनार दिल्ली के महरौली में स्थापित है। इसके आसपास पुरातत्व संबंधी क्षेत्र में ऐतिहासिक भवन हैं, जिनमें शानदार अलाई-दरवाज़ा भारतीय-मुस्लिम कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है इसका निर्माण 1311 में हुआ था। इसके अलावा कुव्वतुल-इस्लाम उत्तर भारत में सबसे प्राचीन मस्जिद है जिसके निर्माण के लिए 20 ब्राह्मण मंदिरों की सामग्री का फिर से इस्तेमाल किया गया था।

कुतुबमीनार का निर्माण विवादपूर्ण है कुछ मानते है कि इसे विजय की मीनार के रूप में भारत में मुस्लिम शासन की शुरूआत के रूप में देखा जाता है। कुछ मानते है कि इसका निर्माण अजान देने के लिए किया गया है।

बहरहाल इस बारे में लगभग सभी एकमत हैं कि यह मीनार भारत में ही नहीं बल्कि विश्व का बेहतरीन स्मारक है। दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्धीन ऐबक ने 1200 ई. में इसका निर्माण कार्य शुरु कराया किन्तु वे केवल इसका आधार ही पूरा कर पाए थे। इनके उत्तराधिकारी अल्तमश ने इसकी तीन मंजिलें बनाई और 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने पांचवीं और अंतिम मंजिल बनवाई थी।

ऐबक से तुगलक काल तक की वास्तुकला शैली का विकास इस मीनार में स्पष्ट झलकता है। प्रयोग की गई निर्माण सामग्री और अनुरक्षण सामग्री में भी विभेद है। 238 फीट ऊंची कुतुबमीनार का आधार 17 फीट और इसका शीर्ष 9 फीट का है । मीनार को शिलालेख से सजाया गया है और इसकी चार बालकनी हैं। जिसमें अलंकृत कोष्ठक बनाए गए हैं। कुतुब परिसर के खंडहरों में भी कुव्वत-ए-इस्‍लाम (इस्लाम का नूर) मस्जिद विश्व का एक भव्य मस्जिद मानी जाती है। कुतुबुद्धीन-ऐबक ने 1193 में इसका निर्माण शुरू कराया और 1197 में मस्जिद पूरी हो गई।

साल 1230 में अल्तमश ने और 1315 में अलाउद्दीन खिलजी ने इस भवन का विस्तार कराया। इस मस्जिद के आंतरिक और बाहरी प्रागंण स्तंभ श्रेणियों में है आंतरिक सुसज्जित लाटों के आसपास भव्य स्तम्भ स्थापित हैं। इसमें से अधिकतर लाट 27 हिन्दू मंदिरों के अवशेषों से बनाए गए हैं। मस्जिद के निर्माण हेतु इनकी लूटपाट की गई थी अतएव यह आचरण की बात नहीं है कि यह मस्जिद पारंपरिक रूप से हिन्दू स्थापत्य–अवशेषों का ही रूप है। मस्जिद के समीप दिल्ली का आश्चर्यचकित करने वाला पुरातन लौह-स्तंभ स्थित है।

फिरोज शाह कोटला किला
दिल्ली में फिरोजशाह कोटला किले का निर्माण मुगल शासक फिरोजशाह तुगलक ने 1354 में करवाया था। ये किला दिल्ली के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है। फिरोजशाह कोटला किले का निर्माण तब हुआ जब मुगलों ने इस इलाके में पानी की कमी की वजह से अपनी राजधानी तुगलकाबाद से फिरोजाबाद ट्रांसफर करने का फैसला किया। पानी की कमी को हल करने के लिए किले का निर्माण यमुना नदी के पास किया गया था। किले के अंदर सुंदर बाग़, महलों, मस्जिदों और मदरसों का निर्माण किया गया था। राजधानी का ये शाही गढ़ तुगलक वंश के तीसरे शासक के शासनकाल के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

राष्ट्रपति भवन
राष्ट्रपति भवन एडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया दिल्ली का एक प्रसिद्ध स्मारक है। 1911 में इस भवन का निर्माण शुरू हुआ और इसे पूरा होने में करीब 19 साल लग गए। आज़ादी से पहले राष्ट्रपति भवन में भारत के तत्कालीन वायसराय रहा करते थे और अब भारत के राष्ट्रपति रहते हैं। इस भवन के पश्चिमी हिस्से में मौजूद मुग़ल गार्डन काफी मशहूर है। मुग़ल गार्डन को हर साल बसंत में आम लोगों के लिए खोला जाता है।

जामा मस्जिद
पुरानी दिल्ली में स्थित एक महत्वपूर्ण मस्जिद है जामा मस्जिद। इसका निर्माण 1644 में शुरू हुआ और 1658 में ये मस्जिद बनकर तैयार हुयी। ये देश की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है और शाहजहां द्वारा बनवायी गयी कई इमारतों में से आखिरी आलीशान इमारत भी है। लाल पत्थर और संगमरमर से बनी इस मस्जिद में तीन भव्य दरवाजे हैं।

लोटस टेम्पल
कमल के फूल जैसे अपने आकार के कारण बहाई मंदिर को लोटस टेम्पल भी कहा जाता है। लोटस टेम्पल ईरानी-कनाडाई वास्तुविज्ञ फ्यूरीबुर्ज सबा ने 1986 में डिजाइन किया था।

इसमें सफेद रंग की 27 पंखुड़ियां हैं। इनकी खूबसूरती इस मंदिर को दिल्ली के प्रमुख आकर्षणों में से एक बनाती हैं। इसका निर्माण 1987 में बहाई सम्प्रदाय के अनुयायियों द्वारा कराया गया था। यह मंदिर शुद्धता और सभी धर्मों की समानता का प्रतीक है। नेहरु प्लेस की पूर्व दिशा में स्थित कमल के फूल के आकार का ये मंदिर पूरे विश्व में बने सात बड़े मंदिरों में अंतिम बना मंदिर है। ये मंदिर हरे-भरे बागों के बीच स्थित है। यह मंदिर शुद्ध सफेद संगमरमर से निर्मित है। इसके शिल्पकार फ्यूरीबुर्ज सबा ने कमल को प्रतीक के रूप में चुना जो हिन्दू, बौद्ध, जैन और इस्लाम धर्म में समान है। प्रत्येक सम्प्रदाय के अनुयायी मंदिर में निःशुल्क प्रवेश कर सकते हैं और प्रार्थना अथवा ध्यान कर सकते हैं। यहां कमल की खिली हुई पंखुड़ियों के चारों ओर पानी के नौ तालाब है, जो प्राकृतिक प्रकाश में प्रकाशमान होते हैं। गोधूलि वेला में रोशनी में नहाया बहाई मंदिर शानदार दिखाई देता है।

राजघाट
राजघाट यमुना नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित एक पवित्र स्थान है जहाँ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का स्मारक है। यहाँ का माहौल बेहद शांतिपूर्ण हैं। इस स्मारक के पास मौजूद दो संग्रहालयों को महात्मा गाँधी को समर्पित किया गया है। काले संगमरमर का एक साधारण चौकोर पत्थर उस स्थान पर लगा है, जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अंतिम संस्कार किया गया था। स्मारक पर लिखे दो शब्द ‘हे राम’ महात्मा गाँधी द्वारा बोले गए आखिरी दो शब्द थे।

लोधी गार्डन
किसी दौर में ‘लेडी वेलिंगटन पार्क’ के नाम से जाना जाने वाला ये पार्क, बाद में लोधी गार्डन कहलाने लगा। इस गार्डन में मुबारक शाह, इब्राहिम लोधी और सिकंदर लोधी की मज़ारें हैं।

इंडिया गेट
राजपथ पर स्थित इंडिया गेट, प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्ध में मारे गए भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था। उन शहीदों के नाम इस इमारत पर खुदे हुए हैं।
इस गेट का डिजाइन एडविन लुटियंस ने बनाया था और 42 मीटर ऊँचे इस गेट को बनने में 10 साल लगे थे।

चांदनी चौक
दिल्ली के सबसे व्यस्त और पुराने बाज़ारों में से एक है चांदनी चौक, जो दिल्ली के किसी पर्यटन स्थल से कम महत्व का नहीं है।एशिया के इस सबसे बड़े थोक बाजार को शाहजहां ने बनवाया था और ये बाजार लाल किले से जामा मस्जिद तक पुराने शहर में फैला हुआ है।

दिल्ली हाट
इस पारम्परिक बाज़ार में खानपान, हस्तशिल्प और सांस्कृतिक गतिविधियों का मिश्रण दिखाई देता हैं और जरुरत की सभी आधुनिक चीज़ें भी यहाँ मिलती हैं। भारतीय संस्कृति की एक अनूठी झलक इस बाजार में देखी जा सकती है।

लक्ष्मी नारायण मंदिर
बिरला मंदिर के नाम से प्रसिद्ध, उड़ीसा शैली में 1938 में निर्मित यह विशाल हिन्दू मंदिर प्रख्यात बिरला परिवार द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर में सभी धर्म के अनुयायी पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

हुमायूं का मकबरा
1570 ई. में निर्मित ये मकबरा विशेष सांस्कृतिक महत्व वाला है क्योंकि यह भारतीय उपमहाद्वीप का पहला बागीचे वाला मकबरा था। इसने वास्तुकला के अनेक नवीन कार्यों को प्रेरणा दी, ये दिखने में ताजमहल के जैसा लगता है।

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