Pathan SRK-BJP Deal | Shahrukh Khan and BJP have a Deal on Pathan पठान पर शाहरुख-बीजेपी में हुई थी डील?
Pathan SRK-BJP Deal | Shahrukh Khan and BJP have a Deal on Pathan पठान पर शाहरुख-बीजेपी में हुई थी डील?

दोस्तों नमस्कार. दोस्तों फिल्में हमें बहुत कुछ सिखाती है. कुछ बातें हम फिल्में देख कर सीख सकते हैं और कुछ बातें हम… फिल्मों से जुड़ी घटनाओं को देख कर सीख सकते हैं. इस वीडियो में हम कोशिश करेंगे ये जानने की… कि पठान के साथ जो कुछ भी हुआ वो क्यों हुआ और उससे क्या हम कुछ सीख सकते हैं?
SRK-BJP में डील?
इस वीडियो में हम जिन किरदारों के माध्यम से आपको एसआरके-बीजेपी डील की बात को समझाने की कोशिश करेंगे वो हैं प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी, यूपी के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ, सेंट्रल मिनिस्टर स्मृति ईरानी, सेंट्रल मिनिस्टर फॉर इन्फॉरमेंशन एंड ब्रॉडकास्टिंग अनुराग ठाकुर, और एमपी के होम मिनिस्टर नरोत्तम मिश्रा.
दोस्तों आपको याद होगा जब शाह रुख ख़ान के बेटे आर्यन को एनसीबी ने ड्रग्स रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था, तब शाहरुख़ ख़ान के समर्थन में कई लोगों ने आवाज़ बुलंद की थी.
उनमें एक्टर्स से लेकर पॉलीटीशियन्स तक शामिल थे. उनका कहना था कि शाह रुख़ ख़ान के परिवार को इसलिये परेशान किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने मोदी के सामने झुकने से मना कर दिया है.
उस समय मेरे मन में ये सवाल आया था कि अगर इन लोगों की बात सही है तो वो क्या हो सकता है जिसे लेकर बीजेपी शाह रुख़ ख़ान को झुकाने या राज़ी करने की कोशिश कर रही है. अगर आपके मन में भी ये सवाल आया हो और उसका कोई जवाब आपको सूझा हो तो कॉमेंट में ज़रूर लिखियेगा. हालांकि इस वीडियो के एन्ड में भी शायद आपको इस बात का कोई जवाब मिल जाए कि बीजेपी आखिर शाहरुख़ से चाहती क्या है? और क्या ये कहना सही है कि शाह रुख बीजेपी के आगे झुकने को राज़ी हो गए हैं?
दोस्तों इस वीडियो का थंबनेल है एसआरके बीजेपी डील. और मुझे लगता है कि शायद… शायद… शाहरुख और बीजेपी के बीच कोई अंडरस्टैंडिंग बन गई है. आप पूछेंगे कि ऐसा कैसे कहा जा सकता है? तो मैं आपको कुछ घटनाएं बताऊंगा और अगर आप उनके डॉट्स कनेक्ट करेंगे तो आपको भी लगने लगेगा कि एसआरके और बीजेपी में कुछ तो बात बनी है.
सबसे पहले ध्यान दीजिये कि शाह रूख की फिल्म पठान को लेकर सबसे पहली हाइप कैसे क्रियेट हुई? वो हुई थी पठान के गाने बेशरम रंग पर उठे विवाद से. इस गाने को लाइमलाइट में लाने वाले कौन थे. सबसे बड़े बड़बोले के तौर पर इसका विरोध किया था मध्य प्रदेश के गृह मंत्री और बीजेपी के नेता नरोत्तम मिश्रा ने. बाद में मध्य प्रदेश के ही कांग्रेस एमएलए पीसी शर्मा ने आरोप लगाया कि बीजेपी और बजरंग दल वाले पैसे लेकर फिल्म का विरोध करते हैं जिससे कि फिल्म की पॉपुलैरिटी बढ़ती है.
अब पैसे लेकर फिल्म का विरोध करने का आरोप सही है या गलत ये तो मुझे नहीं पता लेकिन ये सही है कि बेशरम रंग गाने पर विवाद से पठान को पब्लिसिटी ज़रूर मिली थी. बीजेपी नेताओं की बयानबाज़ी के बीच पठान फिल्म के विरोध में बॉयकॉट बॉलीवुड अभियान तेज़ होता जा रहा था. और इसकी वजह से पठान लगातार चर्चा में बनी हुई थी. जिसे देखो वही इसकी बात कर रहा था.
इसके बाद क्या हुआ? इसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक मीटिंग हुई मुम्बई में… बॉलीवुड के कलाकारों के साथ. वैसे तो इस मीटिंग का मकसद था इस बात पर विचार करना कि यूपी की फिल्म सिटी में बॉलीवुड वाले कैसे कॉन्ट्रीब्यूशन दे सकते हैं. लेकिन इस मीटिंग में सुनील शेट्टी ने योगी आदित्यनाथ से रिक्वेस्ट की कि योगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करें और किसी तरह से बॉयकॉट बॉलीवुड कैम्पेन को बंद करवायें.
अब ये तो पता नहीं कि योगी ने सुनील शेट्टी की बात पीएम तक पहुंचाई या नहीं लेकिन इतना ज़रूर हुआ कि प्रधानमंत्री ने बीजेपी की नैशनल एग्ज़ीक्यूटिव मीटिंग में अपने नेताओं को अच्छे से समझा दिया कि अब फिल्मों पर बयानबाज़ी नहीं करनी है. ध्यान रखिए ये बात पीएम ने पठान की रिलीज़ से एक हफ्ता पहले कही थी. पीएम मोदी ने कहा कि..
”एक नेता हैं जो फिल्मों पर बयान देते रहते हैं,
उनके बयान टीवी पर चलते रहते हैं।
उन्हें लगता है वे नेता बन रहे हैं,
पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी उन्हें फोन किया,
लेकिन वे मानते नहीं हैं।
क्या जरूरत है हर फिल्म पर बयान देने की?”
इसके बाद क्या हुआ? इसके बाद नरोत्तम मिश्रा जैसे बीजेपी नेताओं ने फिल्मों पर बयान देने लगभग बंद कर दिये. अब नंबर आया पठान की रिलीज़ का. फिल्म रिलीज़ होने तक न सिर्फ़ बीजेपी नेताओं के पठान के विरोध में बयान आने बंद हो चुके थे बल्कि कई नेताओं ने तो अपने अपने सोशल मीडिया पर शाह रुख खान की फिल्म पठान का बाकायदा प्रचार तक किया. इनमें किरण बेदी जैसे बीजेपी नेता शामिल थे.
फिल्म रिलीज़ के बाद सेंट्रल मिनिस्टर फॉर इन्फॉरमेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग अनुराग ठाकुर ने पठान का पक्ष लेते हुए कहा कि कोई भी फिल्म भारत सरकार के सेंसर बोर्ड से पास होकर ही रिलीज़ की जाती है. अनुराग ठाकुर ने ये भी कहा कि हमारी फिल्में आज दुनिया में अपना नाम बना रही हैं। ऐसे में बॉयकाट जैसी बातें माहौल को खऱाब करती है. बात केवल सरकार की तरफ से पठान का पक्ष लेने तक ही सीमित नहीं रही बल्कि उसे मंच मुहैया कराने तक गई. राष्ट्रपति भवन के कल्चरल सेंटर में बाकायदा पठान की स्क्रीनिंग तक रखी गई.
इसके अलावा अब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी कह रही हैं कि उनके परिवार की शाह रुख खान से दोस्ती करीब 30 साल पुरानी है। ईरानी ने कहा कि लोग शाह रुख के बारे में जो कुछ भी बोल रहे हैं, वो सही नहीं और न ही सच है। ईरानी ने ये भी बताया कि उनकी तो बेटी का नाम भी किसी और ने नहीं बल्कि शाहरुख खान ने ही रखा था।
दूसरी तरफ़ अगर पठान फिल्म के टॉपिक और इसमें शाह रुख के रोल की बात करें तो इसमें वो देश, देशभक्ति,और देश के लिए कुछ करने की बात कहते नज़र आए हैं. यहां तक कि पठान का जो ट्रेलर रिलीज़ किया गया उसमें भी शाहरुख का मुख्य डायलॉग ही ये था कि एक सोल्जर ये नहीं पूछता कि देश ने उसके लिए क्या किया है. पूछता है कि वो देश के लिए क्या कर सकता है.
शायद यही वो लाइन थी जो बीजेपी की पॉलिटिक्स को सूट करती है. तो अगर आप सारी घटनाओं को जोड़ें तो पायेंगे कि बीजेपी नेताओं ने पहले फिल्म को लेकर हाइप क्रियेट की. जब पठान के रिलीज़ होने का वक्त नज़दीक आया तो बीजेपी नेताओं ने पठान का विरोध करना बंद कर दिया. और जब फिल्म रिलीज़ हुई तो बीजेपी के नेता पठान का सपोर्ट करते दिखाई दिये.
इस सबसे पठान का क्या फायदा हुआ? पठान का ये फायदा हुआ कि बॉक्स ऑफिस पर उसकी दुर्गति होने से बच गई. उसका रिज़ल्ट लाल सिंह चड्ढा या ब्रह्मास्त्र जैसा नहीं रहा. बल्कि शाहरूख की टीम तो पठान को एक बड़ी सक्सेस बता कर सेलिब्रेट भी कर रही है. फिल्म की कमाई को लेकर अलग-अलग आंकड़े हो सकते हैं. पठान के विरोधी आईएमडीबी का आंकड़ा दिखा कर कह रहे हैं कि इसकी कमाई 200 करोड़ से भी कम है जबकि पठान के सपोर्टर इसे बाहुबली से भी आगे बता रहे हैं.
आरोप ये भी लग रहे हैं कि शाहरुख और आदित्य चोपड़ा ने खुद ही फिल्म के 75 करोड़ रुपये के टिकट खरीद लिये.
कमाई कुछ भी हो लेकिन पठान का वो हाल तो बिल्कुल नहीं हुआ जो हाल में आई बाकी बॉलीवुड फिल्मों का हुआ था. इसमें शाह रुख़ की भी तारीफ करनी होगी कि उन्होंने अनुराग कश्यप, तापसी पन्नू, या करीना कपूर की तरह कोई गलती नहीं की. उन्होंने घमंड में आकर ऐसा कभी नहीं कहा कि जिसे फिल्म देखनी है वो देखे जिसे नहीं देखनी वो ना देखे.
अगर अब भी आपको शाह रुख ख़ान और बीजेपी की अंडरस्टैंडिंग को लेकर कोई शक है तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक बयान इस शक को दूर कर देगा. हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में जब योगी से बेशरम रंग, पठान और बॉयकॉट कल्चर को लेकर सवाल पूछा गया तो योगी ने अपने पहले सेन्टेन्स में ही फिल्मी कलाकारों की तारीफ कर दी. योगी ने कहा कि किसी भी कलाकार का, या साहित्यकार का या जिसके पास कोई विशिष्ट उपलब्धि है उसका… सम्मान होना चाहिए. योगी ने कहा कि वो उन सभी का सम्मान करते हैं.
याद रखिये ये वही योगी हैं जिन्होंने कुछ साल पहले शाह रुख खान की तुलना आतंकवादी हाफिज सईद से की थी. जब शाह रुख ने देश में असहिष्णुता यानी इनटॉलरेन्स को लेकर बयान दिया था. यानी जब शाह रुख़ ख़ान इनटॉलरेन्स की बात कर रहे थे तो योगी और बाकी बीजेपी नेता उन्हें ललकार रहे थे लेकिन जब शाह रुख़ पठान फिल्म के ज़रिये ही सही देशभक्ति की बात कर रहे हैं तो योगी भी उनकी तारीफ कर रहे हैं.
उम्मीद है कि आप समझ गये होंगे कि बीजेपी शाह रुख से क्या चाहती है और शाह रुख बीजेपी के आगे झुके हैं या फिर दोनों के बीच कोई अंडर स्टैंडिंग बन गई है. अगर इस पूरे एपिसोड से मिली लर्निंग की बात करें तो वो ये हो सकती है कि चाहे व्यक्ति हो संगठन…वो अपने लार्जर इंट्रेस्ट यानी बड़े लक्ष्य की पूर्ति के लिए काम करता है. इसके लिए उसे लचीलापन दिखाने से परहेज़ नहीं होता. वो वक्त और हालात के हिसाब से फैसले करने को ग़लत नहीं,,, बल्कि समझदारी मानता है.
चलिए ये तो रही मेरी बात. अब मैं आपकी भी राय जानना चाहता हूं. मेरे इस वीडियो के बारे में आप क्या सोचते हैं. कॉमेन्ट में ज़रूर लिखें. कीप लर्निंग फ्रॉम फिल्म्स. नमस्कार.