Madhur Bhandarkar Film India Lockdown Review इंडिया लॉकडाउन फिल्म से कोविड के दौरान लगे लॉकडाउन की यादें ताज़ा हो जाएंगी

Madhur Bhandarkar Film India Lockdown Review इंडिया लॉकडाउन फिल्म से कोविड के दौरान लगे लॉकडाउन की यादें ताज़ा हो जाएंगी
रीयलिस्टिक फिल्में बनाने के लिए मशहूर… निर्देशक मधुर भंडारकर की फिल्म है इंडिया लॉकडाउन. कोविड की वजह से भारत में लगाए गए संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान लोगों की ज़िंदगी कैसी थी…यही बताने की कोशिश इस फिल्म में की गई है. इंडिया लॉकडाउन में मुम्बई की चार कहानियां एक साथ चलती हैं.
एक कहानी एक बुज़ुर्ग नागेश्वर की है जिनकी बेटी मां बनने वाली है.
दूसरी कहानी उनके घर में काम करने वाली नौकरानी फूलमती और उसके परिवार की है.
तीसरी कहानी एक सेक्स वर्कर मेहरून्नरिसा की है.
और चौथी कहानी है एक कपल की.
मुम्बई में रहने वाले बुज़ुर्ग नागेश्वर के रोल में प्रकाश बेलावाड़ी हैं जिनकी बेटी स्वाति यानी ऋषिता भट्ट प्रेग्नेंट है. स्वाति बेंगलुरू में रहती है और नागेश्वर उसकी देखभाल के लिए बेंग्लुरू जाना चाहते हैं.
शहर में कोविड फैल रहा है और बेंग्लुरू जाने से पहले नागेश्वर अपनी नौकरानी फूलमती को काम पर ना आने के लिए कह देते हैं. हालांकि नागेश्वर के बेंग्लुरू के लिए निकलने से पहले ही देश में लॉकडाउन लग जाता है.
उधर फूलमती और उसका पति माधव ग़रीबी और लॉकडाउन की वजह से दाने-दाने के लिए मोहताज हो जाते हैं और बच्चों समेत गांव लौटने का फैसला कर लेते हैं. माधव के रोल में प्रतीक बब्बर और फूलमती के रोल में सई तम्हानकर ने अच्छा काम किया है.
श्वेता बासु प्रसाद यानी मेहरून्निसा की मुश्किल अलग है. उसे धंधे की कमी से तो जूझना ही पड़ता है साथ ही अपनी मां का भरोसा बनाए रखने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है. श्वेता अपने रोल को सही ढंग से निभाने में कामयाब रही हैं. मेहरुन्निसा के लिए काम का इंतज़ाम करने वाले टीपू के रोल में सानंद वर्मा जंचे हैं.
इसके अलावा देव और पलक की लव स्टोरी में लॉकडाउन की वजह से आने वाली रुकावट को भी इंडिया लॉकडाउन में दिखाया गया है.
फिल्म में एक और किरदार है चरणदास नाम का. जो प्रवासी मज़दूरों की घर वापसी के दौरान एक मजबूर औरत का फायदा उठाने की कोशिश करता है. चरण दास के रोल में गोपाल सिंह ने प्रभावित किया है. गोपाल सिंह पहले भी मधुर भंडारकर की फिल्मों में नज़र आते रहे हैं.
अगर आप लॉकडाउन के दौर को एक बार फिर महसूस करना चाहते हैं तो दो घंटे से भी कम ड्यूरेशन की इस फिल्म को देख सकते हैं.