What is Electric Highway इलेक्ट्रिक हाइवे क्या होता है ?

What is Electric Highway इलेक्ट्रिक हाइवे क्या होता है ?

What is Electric Highway इलेक्ट्रिक हाइवे क्या होता है ?

भारत समेत दुनिया के कई देश इलेक्ट्रिक हाइवे बनाने की ओर बढ़ रहे हैं. इलेक्ट्रिक हाइवे एक ऐसा हाइवे होता है जिस पर इलेक्ट्रिक वाहन चलते हैं.

इलेक्ट्रिक हाइवे पर उसी तरह से इलेक्ट्रिक वायर लगाए जाते हैं जैसे कई ट्रेन्स के ऊपर लगे होते हैं. ट्रेन के इंजन से ये वायर एक आर्म के जरिए कनेक्ट होता है, जिससे पूरी ट्रेन को इलेक्ट्रिसिटी मिलती है. इसी तरह इलेक्ट्रिक हाइवे पर भी इलेक्ट्रिक वायर लगाया जाता है. इन हाइवे पर चलने वाली गाड़ियों को इन वायर्स से बिजली मिलती है. ऐसे हाइवेज़ को ही ई-हाइवे या इलेक्ट्रिक हाइवे कहा जाता है. इस तरह के हाईवे पर जगह जगह चार्जिंग पॉइंट भी लगे होते हैं जिनसे इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज किया जाता है.

What is Electric Highway इलेक्ट्रिक हाइवे क्या होता है ?


ई-हाइवे की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस पर वाहनों की सस्ती आवाजाही पॉसिबल है. ई हाइवे से लॉजिस्टिक कॉस्ट 70 प्रतिशत तक कम हो जाती है. अगर ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में कमी आती है तो हर तरह का सामान भी सस्ता हो सकता है. यानी एक तरह से ई हाइवे महंगाई को भी रोकने में अपनी भूमिका निभा सकता है.

ई हाइवे की दूसरी खासियत है कि ये पूरी तरह इको फ्रेंडली होता है. इस पर गाड़ियों को चलाने के लिए बिजली का इस्तेमाल किया जाता है जो पेट्रोल और डीजल जैसे फ्यूल के मुकाबले सस्ता पड़ता है. इससे पॉल्यूशन भी कम होता है. ई हाइवे पेट्रोल-डीजल पर हमारी निर्भरता भी कम करता है. वैसे भी महंगे पेट्रोल-डीजल की वजह से ट्रांसपोर्टशन कॉस्ट ज्यादा आती है.

अब सवाल आता है कि इलेक्ट्रिक हाईवे काम किस तरह करता है. तो दुनियाभर में ई हाइवे के लिए तीन अलग-अलग तरह की टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जाती हैं. एग्ज़ाम्पल के तौर पर स्वीडन में ई हाइवे के लिए पेंटोग्राफ मॉडल का इस्तेमाल किया जाता है. ये वही मॉडल है जो भारत में ट्रेनों में भी इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सड़क के ऊपर एक वायर लगाया जाता है, जिसमें इलेक्ट्रिसिटी फ्लो होती है. पेंटोग्राफ के जरिए इस इलेक्ट्रिसिटी को वाहन में सप्लाई किया जाता है. ये इलेक्ट्रिसिटी डायरेक्ट इंजन को पॉवर देती है या वाहन में लगी बैटरी को चार्ज करती है.

इसके अलावा ई हाइवे में कंडक्शन मॉडल और इंडक्शन मॉडल का भी इस्तेमाल किया जाता है. कंडक्शन मॉडल में वायर को सड़क के अंदर ही लगाया जाता है जिसपर पेंटोग्राफ टकराता हुआ चलता है.

तीसरा होता है इंडक्शन मॉडल. इसमें कोई वायर इस्तेमाल नहीं किया जाता. इस तरह के सिस्टम में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक करंट के जरिए गाड़ियों को इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई की जाती है.
वैसे स्वीडन और जर्मनी जैसे देशों में जो इलेक्ट्रिक व्हीकल इस्तेमाल होते हैं, उनमें हाइब्रिड इंजन होता है, यानी वो इलेक्ट्रिसिटी के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल से भी चल सकते हैं.

स्वीडन और जर्मनी जैसे देशों में ई हाइवे का इस्तेमाल लॉजिस्टिक ट्रांसपोर्ट करने के लिए ही किया जाता है. इन देशों में पर्सनल व्हीकल जैसे कार और जीप इलेक्ट्रिसिटी से चलती तो हैं, लेकिन उन्हें बैट्री से ऑपरेट किया जाता है. केवल ट्रक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल हो रहे वाहनों में ही डायरेक्ट इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई दी जाती है.

इलेक्ट्रिक हाईवे का इस्तेमाल स्वीडन और जर्मनी में ऑलरेडी हो रहा है. स्वीडन ई-हाईवे शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश है. स्वीडन ने 2016 में ई-हाइवे का ट्रायल शुरू किया था और 2018 में पहला ई-हाईवे शुरू कर दिया.

स्वीडन के बाद जर्मनी ने 2019 में इलेक्ट्रिक हाईवे की शुरुआत की. ये हाईवे 6 मील लंबा है. इस हाईवे के अलावा जर्मनी ने बसों के लिए वायरलेस इलेक्ट्रिक रोड भी बनाया है. स्वीडन और जर्मनी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट चल रहे हैं. ब्रिटेन और अमेरिका में भी ई-हाईवे पर काम चल रहा है.

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