पीएम मोदी के जापान और चीन दौरों और क्वाड की रणनीति पर होगी ट्रंप की पैनी नजर
पीएम मोदी के जापान और चीन दौरों और क्वाड की रणनीति पर होगी ट्रंप की पैनी नजर
Trump will keep a close eye on PM Modi’s Japan and China visits and the Quad strategy

रवि पाराशर
अमेरिका से टैरिफ तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के न्योते पर आठवें जापान दौरे पर पहुंच गए हैं। मोदी 15वें भारत-जापान सालाना शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। दो दिन के इस दौरे के दौरान भारत और जापान के संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे, यह तय है। वैसे जापान के साथ भारत के अच्छे संबंधों का इतिहास पुराना है। याद कीजिए कि आजादी की लड़ाई लड़ रहे अमर सेनानी सुभाष चंद्र बोस को समर्थन देने वाले देशों में जापान अग्रणी था।
जापान ने सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में बनाई गई पहली आजाद हिंद सरकार (पहली अखंड भारत सरकार) का समर्थन करते हुए उसे मान्यता दी थी। साल 1943 में 21 अक्टूबर को बोस ने सिंगापुर में अस्थाई सरकार के गठन का ऐलान किया था। जर्मनी, इटली और जापान समेत कई देशों ने आजाद हिंद सरकार को आनन-फानन में मान्यता दे दी। जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भी बोस की अस्थाई सरकार को सौंप दिए थे। यह बात अलग है कि द्वीप समूह पर तब जापान का ही सैनिक दबदबा ज्यादा था।
इसके बाद 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों के चंगुल से भारत के आजाद होने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध लगातार प्रगाढ़ होते रहे हैं। न केवल आर्थिक, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामरिक और रणनैतिक मोर्चों पर भारत और जापान निर्विवाद रूप से अच्छे सहयोगी रहे हैं। उम्मीद है कि जापान मोदी के इस दौरे के पहले दिन होने वाली वार्ता में भारत में अपने निवेश लक्ष्य को दोगुना करने का वादा करेगा। इससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनके इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत-जापान की विशेष रणनैतिक और वैश्विक साझेदारी को नए आयाम देना है। उन्होंने कहा कि पिछले 11 साल में दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हुए हैं और अब ध्यान आर्थिक, निवेश और नई टैक्नोलॉजी, जैसे आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस और सेमीकंडक्टर सहयोग पर होगा।
इससे पहले जापान में भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज ने कहा था कि मोदी के इस दौरे में दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण एमओयू पर दस्तखत किए जाएंगे। जॉर्ज ने क्वाड का भी जिक्र करते हुए उसे महत्वपूर्ण मंच बताया था। उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी के जापान दौरे पर क्वाड को ले कर भी बातचीत होगी। भारत और जापान के साथ ही अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया क्वाड के सदस्य हैं। मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में अमेरिका नहीं चाहेगा कि भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच नजदीकियां और बढ़ें। लेकिन सिर्फ अमेरिका के चाहने भर से ही दुनिया का शक्ति-संतुलन बहुध्रुवीय होने से नहीं रुकेगा।
जापान दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त से एक सितंबर तक चीन के तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। वे सात साल बाद चीन जा रहे हैं। साल 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद मोदी की यह पहली चीन यात्रा होगी। जाहिर है कि ट्रेड टैरिफ को ही समृद्धि का जरिया मान बैठे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन की पैनी नजर मोदी के जापान और चीन दौरों पर होगी।
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