अपीलीय अदालत में हार के बावजूद ट्रंप टैरिफ पर अड़े, तो क्या ये आर्थिक आतंक नहीं है? Trump insists on tariffs despite defeat in appellate court, isn’t this economic terrorism?

अपीलीय अदालत में हार के बावजूद ट्रंप टैरिफ पर अड़े, तो क्या ये आर्थिक आतंक नहीं है?
Trump insists on tariffs despite defeat in appellate court, isn’t this economic terrorism?

रवि पाराशर

टैरिफ रणनीति पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अड़ियल रवैये की वजह से वर्ल्ड ऑर्डर में तेजी से बदलाव आता नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त को जापान से चीन जाएंगे। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन भी चीन जा रहे हैं। वहां मोदी और पुतिन की मुलाकात होगी ही, साथ ही खबर आई है कि पुतिन ने दिसंबर में भारत आने का भी कार्यक्रम बना लिया है। हाल ही में पुतिन ने राष्ट्रपति ट्रंप से अलास्का में मुलाकात की थी, लेकिन यूक्रेन के साथ युद्ध को ले कर किसी तरह की सहमति नहीं बन पाई थी।

उधर, राष्ट्रपति ट्रंप जिस वक्त बढ़ाए गए टैरिफ का विरोध कर रहे देशों की लाल आंखों का सामना कर रहे हैं, उसी वक्त वे अपने घर में भी बुरी तरह घिरते जा रहे हैं। कई अमेरिकी सांसदों के साथ ही बुद्धिजीवियों और आर्थिक मामलों के कई जानकारों ने भी टैरिफ को विदेश नीति का मुख्य हथियार बनाए जाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि इस नीति की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को दीर्घकालीन नुकसान पहुंचेगा। ये समूह ट्रंप के फैसले को रणनैतिक आपदा तक कह रहा है।

इसके साथ ही कानूनी मोर्चे पर भी राष्ट्रपति ट्रंप को हार का सामना करना पड़ा है। शुक्रवार, 29 अगस्त को अमेरिका की अपीलीय अदालत ने ट्रंप के टैरिफ को गैर-कानूनी करार दे दिया है। कोर्ट ने सात-चार के बहुमत से फैसला सुनाया। इससे पहले निचली अदालत ने भी निर्णय दिया था कि ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में आपातकालीन आर्थिक शक्तियों का गलत इस्तेमाल करते हुए कई देशों पर बहुत ज्यादा टैरिफ थोपा है। अब जब अपीलीय कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगा दी है, तो ट्रंप प्रशासन के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील का विकल्प बचा है।

अपीलीय कोर्ट ने बढ़ाई गई टैरिफ दरों को तत्काल रद्द नहीं किया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक अमेरिकी टैरिफ अक्टूबर के मध्य तक जारी रह सकता है। या तो तब तक राष्ट्रपति ट्रंप अपना फैसला वापस से लें या फिर तर्क संगत टैरिफ लागू करें या फिर वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप ने अभी तो फैसले पर तत्काल प्रतिक्रिया जताते हुए इसे गलत करार दिया है। उन्होंने जोर दे कर कहा है कि बढ़ी हुई टैरिफ दरें लागू रहेंगी। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, ‘सभी टैरिफ लागू हैं! बेहद पक्षपातपूर्ण अपीलीय अदालत ने गलती से कहा है कि हमारे टैरिफ हटा दिए जाने चाहिए, लेकिन वे जानते हैं कि आखिर में जीत संयुक्त राज्य अमेरिका की होगी।’ ट्रंप ने आगे कहा कि ‘अगर ये टैरिफ हटा दिए गए तो यह देश के लिए पूरी तरह से विनाशकारी होगा। इससे हम आर्थिक रूप से कमजोर हो जाएंगे।।’

अदालती फैसले और ट्रंप की प्रतिक्रिया देखते हुए कई बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। राष्ट्रपति ट्रंप के मौजूदा रुख को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे अपीलीय अदालत की अवमानना करते रहेंगे या फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे? क्या सुप्रीम कोर्ट इस अवमानना पर खुद ही संज्ञान ले सकती है? अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपीलीय अदालत का फैसला बरकरार रखा, तब क्या होगा? क्या तब भी ट्रंप कोर्ट के फैसले को मानने से इनकार कर सकते हैं? अगर करते हैं, तो क्या अमेरिका में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट की स्थिति नहीं बन जाएगी?

वैसे ट्रंप और टकराव कोई नई बात नहीं है। 6 जनवरी, 2021 की तस्वीरों को हम भूल नहीं सकते हैं, जब जो बाइडेन के हाथों सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया में ट्रंप के समर्थकों ने बड़ी रुकावट डालने की कोशिश की थी। अमेरिकी संसद परिसर में गोलीबारी की गई थी। बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की तस्वीरें इतिहास में पहले कभी नहीं देखी गई थीं। गोलीबारी में एक महिला की जान चली गई थी। उस वक्त बहुत से टिप्पणीकारों ने इसे आतंकी हमले जैसा नजारा करार दिया था। क्या ट्रंप का टैरिफ फैसला आर्थिक आतंक नहीं कहा जाना चाहिए?
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