टैरिफ पर ट्रंप अब दे रहे हैं अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट को घुड़की, नोबेल पर भी साध ली है चुप्पी Trump is now threatening the US Supreme Court on tariff, has maintained silence on Nobel as well

टैरिफ पर ट्रंप अब दे रहे हैं अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट को घुड़की, नोबेल पर भी साध ली है चुप्पी
Trump is now threatening the US Supreme Court on tariff, has maintained silence on Nobel as well

 रवि पाराशर

भारत समेत कई दशों पर भारी-भरकम टैरिफ थोपने पर दुनिया भर से कड़ी प्रतिक्रिया के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में भी घिरते जा रहे हैं। साथ ही अमेरिकी अपीलीय अदालत में हार जाने के बाद अब ट्रंप सुप्रीम कोर्ट को भी घुड़की देने में जुटे हैं। साफ है कि अगर टैरिफ के मामले में ट्रंप सुप्रीम कोर्ट में भी हार जाते हैं, तो उनकी बड़ी किरकिरी हो जाएगी। ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश दलीलों में कहा है कि अगर टैरिफ वापस लिया गया, तो अमेरिका में ‘आर्थिक तबाही’ आ जाएगी।

ट्रंप प्रशासन ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से जल्द ही कार्रवाई की अपील की है। जाहिर है कि ट्रंप चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट अपीलीय कोर्ट के फैसले को पलटते हुए टैरिफ को कानूनी करार दे दे। अपीलीय कोर्ट ने फैसला दिया था कि कई देशों पर बहुत ज्यादा टैरिफ लागू कर आर्थिक इमरजेंसी की सूरत में राष्ट्रपति के अधिकारों का ट्रंप ने गलत इस्तेमाल किया है।

नई टैरिफ दरें लागू करने के बाद अगस्त महीने के आखिर तक अमेरिकी रेवेन्यू का आंकड़ा 159 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। एक साल पहले इसी समय के मुकाबले यह दोगुने से भी ज्यादा है। अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि एक हफ्ते के अंदर वह तय कर दे कि इस मामले की सुनवाई आगामी नवंबर के पहले हफ्ते में की जाएगी। उन्होंने यह दलील भी दी कि मसला सिर्फ व्यापारिक आमदनी से अमेरिका की समृद्धि का नहीं है, बल्कि यह यूक्रेन के खिलाफ रूस की जंग को खत्म करने की भी कोशिश से जुड़ा है।

इस बीच, अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके जॉन बोल्टन ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राष्ट्रपति ट्रंप के बहुत अच्छे निजी संबंध थे, लेकिन ‘अब वे खत्म हो गए हैं।’ उन्होंने हाल ही में ब्रिटिश मीडिया पोर्टल ‘एलबीसी’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्हें लगता है कि ट्रंप अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नेताओं के साथ निजी संबंधों के चश्मे से देखते हैं। इसलिए अगर रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के साथ ट्रंप के अच्छे संबंध हैं, तो अमेरिका के संबंध रूस के साथ भी अच्छे होने चाहिए थे। लेकिन ऐसा हरगिज नहीं है। यहां जान लेते हैं कि बोल्टन ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके हैं।

उधर, एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम भी ध्यान खींच रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप आजकल शांति के नोबेल पुरस्कार के राग पर उतने मुखर नहीं हो रहे हैं, जितने पहले थे। सीबीएस न्यूज से बातचीत में नोबेल के सवाल पर ट्रंप ने इतना ही कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं कहना है। वे तो सिर्फ युद्ध रोक कर लोगों की जान बचाना चाहते हैं।

याद कीजिए चुनाव जीतने से पहले और बाद में ट्रंप ने खुद को वैश्विक शांति का मसीहा साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। नोबेल पुरस्कार के लिए उन्होंने खुद ही अपना नामांकन किया था। साथ ही अपने कुछ पिछलग्गू देशों को भी ऐसा करने करने के लिए उकसाया था। पाकिस्तान ने भी उनका नाम नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट कर रखा है। नॉर्वे की नोबेल कमेटी अगले महीने 10 तारीख को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार का ऐलान करेगी। बराक ओबामा समेत चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों को अब तक यह पुरस्कार मिल चुका है।

इस बीच, दुनिया भर में खुद को शांति दूत घोषित करने वाले राष्ट्रपति ट्रंप और लैटिन अमेरिका के देश वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के बीच सैन्य तनाव बढ़ता जा रहा है। ट्रंप ने मादुरो पर आरोप लगाया है कि उनके संबंध अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टेल के साथ हैं और वे अमेरिका में ड्रग्स का जाल बिछाने में कार्टेल की मदद कर रहे हैं। वहीं, मादुरो ट्रंप के इस आरोप को सिरे से नकार चुके हैं।

गुरुवार को वेनेजुएला के दो एफ-16 लड़ाकू विमानों ने अमेरिकी युद्धपोत यूएसएस जेसन डनहम के ऊपर से उड़ान भरी। ट्रंप प्रशासन के आदेश पर डनहम को वेनेजुएला के कोस्टल इलाके में तैनात किया गया है। अमेरिकी रक्षा विभाग का कहना है कि आपराधिक संगठनों और ड्रग तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए अमेरिकी नौसेना ने युद्धपोत की तैनाती की है। यह भी जान लें कि ट्रंप ने निकोलस मादुरो पर न सिर्फ ड्रग कार्टेल के साथ संबंध होने का आरोप लगाया है, बल्कि चाहते हैं कि उन्हें हर हाल में गिरफ्तार किया जाए। यही वजह है कि उनकी गिरफ्तारी पर इनाम की रकम दोगुनी कर पांच करोड़ डॉलर कर दी गई है। अब जेसन डनहम के ऊपर से दो युद्धक विमानों ने उड़ान भरी है, तो यह भी साफ है कि वेनेजुएला इस मामले में ट्रंप के सामने घुटने टेकने को तैयार नहीं है।
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