Thanks to the Mayor of London, VHP UK was not removed from the organizing committee under pressure from fundamentalists, Diwali will be celebrated with great pomp लंदन के मेयर को धन्यवाद, कट्टरपंथियों के दबाव में वीएचपी यूके को आयोजन समिति से नहीं हटाया, धूमधाम से मनेगी दिवाली
Thanks to the Mayor of London, VHP UK was not removed from the organizing committee under pressure from fundamentalists, Diwali will be celebrated with great pomp
लंदन के मेयर को धन्यवाद, कट्टरपंथियों के दबाव में वीएचपी यूके को आयोजन समिति से नहीं हटाया, धूमधाम से मनेगी दिवाली

रवि पाराशर
ब्रिटेन की राजधानी लंदन में दिवाली समारोह की आयोजन समिति में विश्व हिंदू परिषद यूके को शामिल किए जाने का विरोध करने वालों को करारा झटका लगा है। लंदन के मेयर सादिक खान ने वीएचपी यूके को आयोजन समिति से हटाने की मांग सिरे से खारिज कर दी है। खुद सादिक खान समिति में शामिल हैं।
हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स यूके और यूके इंडियन मुस्लिम काउंसिल ने वीएचपी यूके को आयोजन में आधिकारिक तौर पर शामिल किए जाने का विरोध किया, तो जवाब में मेयर सादिक खान के प्रवक्ता ने कहा कि दिवाली ऑन द स्क्वॉयर “सभी धर्मों के लोगों का स्वागत करती है” और “समावेशीपन का प्रतीक” है। उन्होंने कहा कि कई सामुदायिक समूह मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। क्योंकि वीएचपी यूके ऐसा ही समूह है, लिहाजा उसे समिति से हटाने का कोई औचित्य नहीं है। वीएचपी यूके को वर्ल्ड काउंसिल ऑफ हिंदूज यूके के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स यूके और यूके इंडियन मुस्लिम काउंसिल का आरोप है कि वीएचपी भारत में इस्लामोफोबिक हिंसा को बढ़ावा देती है। उनका यह आरोप भी है कि खुद ब्रिटिश सरकार ने एक समय संगठन पर जातीय हिंसा में शामिल होने की बात कही थी। जाहिर है कि गुजरात में गोधरा कांड के बाद साल 2002 में भड़की हिंसा के हवाले से यह तर्क दिया गया है। पिछले साल यानी 2024 में भी इन दोनों संगठनों ने दिवाली कार्यक्रम में वीएचपी यूके के शामिल होने को ले कर विवाद के ढोल पीटे थे, लेकिन तब भी इसका कोई असर नहीं पड़ा था।
लंदन के मेयर ने वीएचपी यूके को आयोजन समिति से नहीं हटाने का फैसला कर विरोधियों के आरोप को गलत तो करार दिया ही है, तथ्य यह भी है कि लंदन में सक्रिय कई सामाजिक संगठन हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स यूके और यूके इंडियन मुस्लिम काउंसिल के एजेंडे को गलत बता रहे हैं। हिंदुत्व, सनातन और भारतीयता के भाव का पोषण करने वाले इन संगठनों का कहना है कि उपरोक्त दोनों ही संगठनों में भारत विरोधी और भारत में मोदी सरकार के विरोधी कई लोग शामिल हैं, जो दुष्प्रचार में लगे हैं। भारत विरोधी संगठन ब्रिटेन के हिंदू प्रवासी समुदाय के अधिकारों के लिए किए जाने वाले आंदोलन को भी कमजोर करना चाहते हैं।
लंदन में दिवाली समारोह हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। समारोह में वहां विभिन्न वर्गों के लोग हर्षोल्लास के साथ शामिल होते हैं। रोशनी और आतिशबाजी के साथ ही इस अवसर पर तरह-तरह के सांस्कृतिक आयोजन भी किए जाते हैं। दिवाली दुनिया भर में रह रहे हिंदू समुदाय के लोगों के सबसे बड़े त्योहारों में शामिल है। लंदन में रह रहे प्रवासी भारतीयों की दलील है कि ऐसे में अगर दिवाली से हिंदू समुदाय को ही अलग करने की बात होगी, तो इसका कोई औचित्य ही नहीं है।
सवाल यह है कि साल 2002 में गुजरात में नफरत का एजेंडा चलाने वाले कट्टरपंथियों की साजिश के तहत किए गए गोधरा कांड और उसकी प्रतिक्रिया में भड़की हिंसा का जिक्र आज के दौर में छेड़ कर किसी बात का विरोध कितना जायज है? वैसे तो हिंदुत्व के पक्षधर संगठनों का कोई हाथ गुजरात हिंसा में नहीं था, फिर भी पूरे 23 साल बीतने के बाद क्या किसी घटना या दुर्घटना को किसी पूरे समाज की केंद्रीय मानसिकता से जोड़ा जा सकता है? अगर हां, तो हकीकत तो यही है कि भारत में आए विदेशी आक्रांताओं ने हिंदुओं पर बर्बर अमानवीय अत्याचार किए थे, लाखों हिंदुओं को इस्लाम नहीं अपनाने पर मौत के घाट उतार दिया था, इस तर्क से दुनिया भर के मुसलमानों को मानवाधिकारों का विरोधी, दूसरे धर्मों पर अडिग लोगों की हत्या करने की क्रूर मानसिकता वाला ठहराया जा सकता है?
जहां तक गुजरात में साल 2002 में हुए घटनाक्रम की बात करें, तो दोनों ओर के आरोपितों पर कई मुकदमे दर्ज हुए। बहुत से मामलों में अदालती इंसाफ कर दिया गया है, कुछ मामले अब भी किसी न किसी स्तर पर लंबित हो सकते हैं। तथ्य यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दामन पर गुजरात हिंसा से जुड़ा एक दाग तो दूर, कोई छींटा तक नहीं है। अदालती प्रक्रिया में वे बेदाग साबित हो चुके हैं। राजनैतिक तौर पर वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ब्रांडों में से एक हैं। दुनिया आज उनके जरिये भारत की बातें ध्यान से सुनती है।
अब बात करते हैं तब और आज के ब्रिटेन के रवैये की। वर्ष 2003 में यानी 2002 के घटनाक्रम के अगले साल ही गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन का दौरा किया था। ब्रिटिश सरकार तब बहुत असहज हो गई थी और भारतीय अधिकारियों से किसी तरह मोदी का दौरा जल्द खत्म कराने की गुहार भी लगाई थी। इससे पहले ब्रिटेन सरकार ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी से कहा था कि वे मोदी को ब्रिटेन आने से रोक दें। लेकिन वाजपेयी ने उसकी बात नहीं मानी। मानवाधिकारों की बात करने वाले कथित छद्म संगठनों ने तब वहां मोदी को ‘पब्लिक अरेस्ट’ करने की साजिश भी रची थी। हालांकि ऐसा कुछ हो नहीं पाया था।
उस कालखंड में ही मोदी ने अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन किया था। वर्ष 2005 में वे एशियाई अमेरिकी होटल कारोबारियों के सालाना सम्मेलन में शिरकत के लिए वहां जाना चाहते थे। लेकिन अमेरिका ने मोदी को राजनयिक वीजा देने से साफ इनकार कर दिया था। तर्क वही था साल 2002 में गुजरात में घटा घटनाक्रम। अमेरिकी भारतीय मुस्लिम काउंसिल यानी आईएएमसी ने मोदी के अमेरिका दौरे से जुड़ी खबरों पर उस वक्त कड़ा विरोध जताया था। यह संगठन वाशिंगटन में गुजरात की घटनाओं के बाद ही रजिस्टर्ड कराया गया था। लंदन में इस संगठन की ही इकाई भी वीएचपी यूके को दिवाली समारोह में शामिल करने का पुरजोर विरोध कर रही है।
लेकिन आज के हालात क्या हैं? अभी आठ और नौ अक्टूबर, 2025 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भारत के दौरे पर आए थे। पीएम मोदी से उनकी बातचीत में दोनों देशों के संबंध और मजबूत करने पर सहमति बनी। जिन देशों की संसद को पीएम मोदी 17 बार संबोधित कर चुके हैं, उनमें ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। साल 2015 में यानी पीएम बनने के एक साल बाद उन्होंने ब्रिटेन की संसद को संबोधित किया था। अगले साल 2016 में और फिर 2023 में उन्होंने अमेरिका के संयुक्त सदन को संबोधित किया था। लगे हाथ यह भी जान लें कि कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों के विदेशी संसदों के संबोधनों की संख्या भी 17 ही है।
दिवाली आने वाली है। रावण का वध कर 14 साल का वनवास भोग कर भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में यह त्योहार हजारों वर्षों से हर साल मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत का सार्वकालिक संदेश देने वाला दिवाली का त्योहार ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ का भगवान राम का महान संदेश भी देता है। ऐसे में इस त्योहार के अवसर पर हर प्रवासी भारतीय को भारत माता को हृदय से नमन करना चाहिए, याद करना चाहिए, क्योंकि मां और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़ कर होती हैं।
यह राजनीति का विषय नहीं है, भारतीय सनातन संस्कृति का सामाजिक उत्सव है, समरसता के सकारात्मक संदेश का पर्व है। आइए इस प्रकाश पर्व को मनाते हुए हर तरह के अंधेरे के परास्त होने की कामना करें। अतीत के इस रूप को हर साल स्मरण में लाना बहुत जरूरी है। अतीत की सच्चाई को भ्रामक बना कर वर्तमान और भविष्य को खराब करने की अराजक और असामाजिक नकारात्मक कोशिशों को समझिए। लंदन के मेयर सादिक खान ने दिवाली पर सर्वसमावेशी संस्कार का परिचय दिया है। उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद।
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