रूस का तेल भारत के ब्राह्मणों को फायदा पहुंचा रहा है- कितना हास्यास्पद है अमेरिका का बयान? Russia’s oil is benefiting India’s Brahmins- How ridiculous is America’s statement?

रूस का तेल भारत के ब्राह्मणों को फायदा पहुंचा रहा है- कितना हास्यास्पद है अमेरिका का बयान?
Russia’s oil is benefiting India’s Brahmins- How ridiculous is America’s statement?

 रवि पाराशर

टैरिफ हमले के आगे नहीं झुकने की वजह से भारत पर लगातार निशाना साध रहा अमेरिकी दुष्प्रचार हास्यास्पद हो चला है। उधर, चीन में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के संयुक्त घोषणा पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूटनैतिक मोर्चे पर ऐतिहासिक जीत हासिल की है। घोषणा पत्र में पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की गई है। घोषणा में साफ-साफ कहा गया है कि ऐसे आतंकी हमलों के दोषियों और मददगारों को इंसाफ के कटघरे में लाया जाना चाहिए। चीन में ऐसा हुआ है पाकिस्तान की मौजूदगी में।

हम सभी जानते हैं कि चीन हमेशा पाकिस्तान के पीछे खड़ा रहता है। लेकिन चीन की मेजबानी में हुए एससीओ संयुक्त घोषणा पत्र में आतंकवाद के खिलाफ जो कुछ लिखा गया है, उसका सीधा निशाना पाकिस्तान की तरफ है। इस बीच, एसीओ की बैठक संपन्न होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की कैमिस्ट्री कुछ अलग अंदाज में नजर आई।

कार में ही हुई 45 मिनट बातचीत
भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय वार्ता होटल में होनी थी। पुतिन चाहते थे कि पीएम मोदी उनके साथ ही चलें, लिहाजा उन्होंने करीब 10 मिनट तक कार में बैठ कर उनका इंतजार किया। इतना ही नहीं, होटल पहुंच कर भी दोनों नेता करीब पौने घंटे तक कार से नहीं उतरे। मतलब यह हुआ कि द्विपक्षीय वार्ता से पहले ही दोनों ने आपसी बातचीत के लिए 45 मिनट का समय अलग से निकाला। अब आप समझ सकते हैं कि रूस और भारत, एक-दूसरे को ले कर कितने गंभीर हैं। आज के माहौल में मोदी और पुतिन के बीच कार में ही पौने घंटे की बातचीत दुनिया को बड़ा संदेश दे रही है।

नवारो का हास्यास्पद बयान
अब आते हैं भारत के विरोध में अमेरिकी दुष्प्रचार के मसले पर। खुद रूस के साथ कारोबार बढ़ाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार कहते रहे हैं कि भारत कच्चा तेल खरीद कर यूक्रेन से युद्ध में रूस की आर्थिक मदद कर रहा है। एक कदम आगे जा कर व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने तो पिछले हफ्ते रूस-यूक्रेन युद्ध को ‘मोदी की जंग’ करार दे दिया। फिर उन्होंने कहा कि रूस के तेल से भारत के ‘कुछ’ कारोबारियों को फायदा हो रहा है। आप समझ ही गए होंगे कि नवारो का इशारा किन भारतीय कारोबारियों की तरफ रहा होगा।

उनके इन बयानों पर जो लोग मुस्कुरा दिए थे या फिर मन ही मन में हंस पड़े थे, वे अब नवारो के एक और नए-नवेले बयान पर खुल कर कहकहा लगा सकते हैं। अब पीटर नवारो महाराज ने कहा है कि ‘रूसी तेल भारत के ब्राह्मणों को फायदा पहुंचा रहा है और ऐसा हो रहा है भारत की जनता की कीमत पर।’ अब आप ही सोचिए कि नवारो के इस बयान का मकसद क्या हो सकता है?

ये कैसी विदेश नीति?
क्या किसी देश में जातीय वैमनस्य को हवा देना किसी देश की विदेश नीति का हिस्सा हो सकता है? होता ही होगा। तब ही तो भारत के साथ रिश्तों के सबसे खऱाब दौर में अमेरिका का कोई रणनीतिकार इस हद तक नीचे उतर आया है। ये खिसियानी बिल्ली क्या मानती है कि इस तरह से वह भारत में जातीय संघर्ष को नए सिरे से उभार तक नरेंद्र मोदी की सरकार को अस्थिर कर सकती है? हमें तो ऐसी सोच पर हंसी आती है।

भारत में औपनिवेशिक काल में यानी अंग्रेजों के शासन काल में समाज में ब्राह्मणों के प्रभुत्व को चुनौती मिलनी शुरू हुई थी। महाराष्ट्र में माली जाति के ज्योतिबा फुले ने सत्यशोधक नाम का संगठन बना कर यह बात बुलंद की कि सिर्फ ब्राह्मणों को नहीं, पढ़े-लिखे गैर-ब्राह्मणों को भी साशन में बड़े पदों पर नियुक्तियां मिलनी चाहिए। कोल्हापुर के राजा शाहू ने भी ब्राह्मणों के दबदबे के विरोध में आवाज उठाई।

दक्षिण भारत से भी आवाजें उठीं। साल 1916 में बनाई गई जस्टिस पार्टी ने ब्राह्मणों के विरोध में झंडा उठाया, तो ई. वी. रामासामी नायकर यानी पेरियार ने भी ब्राह्मणवाद का तीखा विरोध किया। नतीजा यह हुआ कि साल 1921 में गैर-ब्राह्मणों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की शुरुआत हो गई।

लेकिन आज के लोकतांत्रिक दौर में क्या ब्राह्मण और गैर-ब्राह्मण के बीच वैमनस्य पैदा करने का मुद्दा उछाल कर कोई राजनैतिक या आर्थिक लड़ाई जीती जा सकती है? क्या या पीएम मोदी ब्राह्मण हैं? क्या अदाणी-अंबानी ब्राह्मण हैं? क्या व्लादीमीर पुतिन ब्राह्मण हैं? एक पल को मान लें कि ऐसा होता भी तो रूस से तेल खरीद के विरोध का यह स्वरूप कितना तर्कसंगत हो सकता है? जो ऐसा सोच भी पा रहा है, जरा सोचिए कि वह विकृत क्रूर कुटिलता की अधोगामी सीढ़ी के किस पायदान पर खड़ा है?
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