Every Muslim man cannot marry more than once: Kerala High Court citing Quran हर मुस्लिम पुरुष एक से ज्यादा शादी नहीं कर सकता: कुरान के हवाले से केरल हाई कोर्ट
Every Muslim man cannot marry more than once: Kerala High Court citing Quran हर मुस्लिम पुरुष एक से ज्यादा शादी नहीं कर सकता: कुरान के हवाले से केरल हाई कोर्ट

रवि पाराशर
केरल हाई कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले ने मुस्लिम समुदाय में बहुविवाह यानी एक से ज्यादा शादियां करने का मुद्दा चर्चा में ला दिया है। हाई कोर्ट ने साफ किया है कि मुस्लिम पुरुष एक से ज्यादा शादी या शादियां तभी कर सकते हैं, जब वे सभी पत्नियों के साथ एक जैसा इंसाफ कर सकते हों। इस्लाम में पुरुषों को चार शादियां करने की अनुमति दी गई है, लेकिन सिर्फ विशेष परिस्थितियों में।
लेकिन एक से ज्यादा शादी करना तभी जायज है, जब पुरुष सभी पत्नियों का भरण-पोषण करने की सामर्थ्य रखता हो और शादियां महिलाओं के कल्याण की भावना से की गई हों। मुस्लिम धार्मिक ग्रंथ कुरान एक शादी को ही बढ़ावा देता है, लेकिन खास तरह के हालात में मुस्लिम व्यक्ति एक से ज्यादा शादियां कर सकता है। यह व्यवस्था युद्ध जैसे हालात में विधवा हुई महिलाओं को ध्यान में रख कर ही बनाई गई थी। लेकिन आज हालात बदल गए हैं, लिहाजा कई मुस्लिम देशों ने भी बहुविवाह पर रोक लगा दी है।
हाल ही में केरल हाई कोर्ट में आई एक रिवीजन पिटीशन का निपटारा करते हुए बहुविवाह पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। एक मुस्लिम महिला ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई कि उसके पति ने दो शादियां की हैं और तीसरी शादी की धमकी दे रहा है। महिला ने अपने भिखारी पति की आमदनी 25 हजार रुपये होने का दावा करते हुए 10 हजार रुपये के गुजारे भत्ते की मांग निचली अदालत में की थी। लेकिन कोर्ट ने भिखारी को गुजारा भत्ता देने के काबिल नहीं मानते हुए महिला की मांग खारिज कर दी।
महिला ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि हाई कोर्ट ने भी निचली कोर्ट का फैसला बहाल रखा, लेकिन केरल सरकार को आदेश दिया कि क्योकि भिखारी तीसरी पत्नी का भरण-पोषण करने की स्थिति में नहीं है, लिहाजा उसे ऐसा करने से रोकने की सलाह दी जाए। हाई कोर्ट ने कुरान का हवाला देते हुए यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि बहुविवाह सिर्फ अपवाद है। अगर कोई मुस्लिम पुरुष पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी पत्नी के साथ इंसाफ कर सकता है, तभी उसे एक से ज्यादा शादियों की इजाजत है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि राज्य का कर्तव्य है कि मुस्लिम रीति-रिवाजों के मूल सिद्धांतों पर लोगों को सलाह-मशविरा दे।
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