Bihar Elections 2025: Is there a dispute between RJD and Congress over the CM post? Why has Bihar politics reached Delhi? बिहार चुनाव 2025: आरजेडी और कांग्रेस के बीच क्या सीएम पद को लेकर ठन गई है? दिल्ली क्यों पहुंची बिहार की सियासत?

Bihar Elections 2025: Is there a dispute between RJD and Congress over the CM post? Why has Bihar politics reached Delhi?
बिहार चुनाव 2025: आरजेडी और कांग्रेस के बीच क्या सीएम पद को लेकर ठन गई है? दिल्ली क्यों पहुंची बिहार की सियासत?


 रवि पाराशर
जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, पक्ष और विपक्ष के खेमों में सब कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है। अभी-अभी खबर आ रही है कि महागठबंधन की अगुवा आरजेडी ने मन बना लिया है कि कांग्रेस को साथ रहने के लिए मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव के नाम का ऐलान साफ-साफ करना होगा। राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई नेता अभी तक तेजस्वी यादव के नाम पर पूछे गए सीधे सवालों से बचते रहे हैं।

तेजस्वी यादव के रविवार 12 अक्टूबर को दिल्ली आने की खबर है। अगर वे दिल्ली आ रहे हैं औऱ विशुद्ध राजनैतिक मकसद से आ रहे हैं, तो जाहिर है कि वे कथित कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात करने ही आ रहे होंगे। अब बड़ा सवाल यह है कि ऐसा करने की जरूरत उन्हें क्यों पड़ रही है? बड़ा सवाल यह भी है कि आरजेडी ऐसा क्यों चाहती है कि अगर महागठबंधन के साथ रह कर ही कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहती है, तो उसे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानना तो होगा ही, साथ ही इसका ऐलान भी करना पड़ेगा।

इससे ही जुड़ा एक सवाल यह भी है कि मौजूदा हालात में कांग्रेस तेजस्वी यादव के नाम पर मुहर लगा क्यों नहीं रही है? राजनैतिक समीकरणों को देखें, तो इस वक्त महागठबंधन में सीएम फेस तेजस्वी के अलावा कोई और हो ही नहीं सकता। दूसरी बात यह है कि क्या कांग्रेस को लगता है कि वह महागठबंधन में आरजेडी की राजनीति को पटखनी दे कर उससे ज्यादा या उसके आसपास सीटों पर चुनाव जीतने की उम्मीद रख रही है?

क्या कांग्रेस को लग रहा है कि ऐसी सूरत में वह अपना सीएम बना सकती है? या फिर क्या उसे यह लगता है कि एनडीए में चुनाव पूर्व या चुनाव के बाद बिखराव की सूरत और महागठबंधन की महत्वाकांक्षी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी की मदद से समीकरणों को अपने पक्ष में कर सकती है? मुकेश सहनी से भी आरजेडी की बात पूरी तरह बन नहीं पाई है। वे करीब 40 सीटें मांग रहे हैं और चुनाव जीतने पर उप-मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी भी खुल कर जता रहे हैं।

अब अगर आरजेडी चाहती है कि कांग्रेस तेजस्वी यादव का नाम सीएम पद के लिए घोषित करे, तो क्या उसे भी धुकधुकी लगी हुई है कि कम सीटें भी आ सकती हैं? जो भी हो, आरजेडी को क्या ऐसा लगता है कि अगर कांग्रेस ने ऐसा कर भी दिया, तो क्या चुनाव के बाद अनुकूल समीकरणों की संभावना बनते हुए देख कर कांग्रेस इससे मुकर नहीं जाएगी? राजनीति में अब नैतिकता के ऊपर नंबर गेम ही हावी नजर आता दिखता है। चाहे बिहार हो यो कोई और प्रदेश, कोई फर्क नहीं पड़ता।

अगर एनडीए की बात करें, तो बिहार की राजनीति में 11 अक्टूबर का दिन दिल्ली के नाम रहा। एनडीए के सहयोगी जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा से दिल्ली में मिले और कम सीटों के प्रस्ताव पर असहमति जताई। खबर यह भी आ रही है कि मांझी को अगर उनके मुताबिक सीटें एनडीए में नहीं मिल पाती हैं, तो वे नए विकल्प को ले कर भी सोचने लगे हैं। वैसे यह एनडीए में दबाव बनाने की कोशिश भी हो सकती है। एनडीए में शामिल एलजेपी (आर) भी सीटों की संख्या को ले कर आश्वस्त नजर नहीं आ रहा है।
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