मोदी की स्वर्गीय मां को दी गई गाली क्या बिहार में बनेगी एनडीए की सेहत की गोली? Will the abuse hurled at Modi’s late mother become a health pill for the NDA in Bihar?

मोदी की स्वर्गीय मां को दी गई गाली क्या बिहार में बनेगी एनडीए की सेहत की गोली?
Will the abuse hurled at Modi’s late mother become a health pill for the NDA in Bihar?


 रवि पाराशर

बिहार की राजनीति में गुरुवार चार सितंबर, 2025 का दिन मां के नाम रहा। एनडीए के बिहार बंद की खबरें टीवी न्यूज चैनलों पर देखते हुए मुझे 1990 में मां पर कही गई अपनी गजल याद आ गई। मतला और कुछ शेर इस तरह हैं-

ख्वाब में कह दूं, सुबह मुझको न दे अम्मा,
चीज ऐसी कौन सी है, जो न दे अम्मा।

जा रही है बिन बुलाए भात गाने को,
हैं वही चप्पल, उन्हें भी खो न दे अम्मा।

घर अकेली है, कहीं उस नए कुर्ते को,
जेब देखे ही बिना फिर धो न दे अम्मा।

बेच दूंगा जिस्म अपना, गर अंगूठी में,
गंध बापू की बची है, तो न दे अम्मा।

उस दौर में यह गजल खासी चर्चा में रही थी।
बहरहाल, वोटर अधिकार रैली के दौरान दरभंगा में जब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को गालियां दी गईं थी, तो महागठबंधन ने तुरंत नहीं सोचा होगा कि बिहार की चुनावी राजनीति में सब कुछ उलट-पलट भी सकता है।

दो सितंबर को बिहार में जीविका निधि क्रेडिट कोऑपरेटिव फेडरेशन की शुरुआत करते हुए दिल्ली से वर्चुअल वीडियो संबोधन में पीएम मोदी ने संस्था के बैंक खाते में 105 करोड़ रुपये तो ट्रांसफर किए ही, साथ ही मां को गाली दिए जाने का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बिहार में उनकी मां को नहीं, बल्कि देश की हर मां को गाली दी गई और राज्य की जनता महागठबंधन को सबक सिखा कर मां के अपमान का बदला लेगी।

चार सितंबर को एनडीए ने महिलाओं की अगुवाई में पांच घंटे के बिहार बंद की अपील की। ज्यादातर जिलों से बंद के असरदार रहने की खबरें मिलीं। ऐसे में अब साफ हो गया है कि एनडीए ने बिहार चुनाव में मोदी की स्वर्गीय मां के अपमान को मुख्य मुद्दों में से एक बना लिया है।

एनडीए के बिहार बंद के दौरान आरजेडी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव ने भी मां के अपमान पर मोदी के वार पर पलटवार के लिए एक्स पर लंबा पोस्ट लिख कर जता दिया है कि उन्हें इस मसले पर नुकसान होने का पूरा अंदेशा है। तेजस्वी ने महिलाओं के अपमान से जुड़े एनडीए नेताओं के कई बयानों का जिक्र पोस्ट में किया है। लेकिन क्या इतने भर से नुकसान की भरपाई हो पाएगी?

साल 2010 के विधानसभा चुनाव नतीजों ने साफ कर दिया था कि बिहार में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में राजनैतिक चेतना ज्यादा बढ़ी है। इसे भांप कर ही नौ जुलाई, 2015 को महिलाओं के एक कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि अगर वे चुनाव जीते, तो बिहार में पूरी तरह शराबबंदी लागू कर देंगे। महिलाओं ने नीतीश कुमार के इस ऐलान पर भरोसा किया और मुख्यमंत्री बनने पर नीतीश ने पांच अप्रैल, 2016 से शराबबंदी कानून लागू कर दिया। उन्होंने दूसरे कई मोर्चों पर भी महिलाओं की जिंदगी खुशहाल बनाने के लिए फैसले लिए।

हाल ही में बिहार सरकार ने राज्य स्तर की सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 फीसदी आरक्षण का फैसला किया है। साथ ही समाज कल्याण पेंशन योजना की रकम भी बढ़ा कर तीन गुना कर दी है। इसमें विधवा पेंशन भी शामिल है। बिहार की 50 प्रतिशत से ज्यादा ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों की अगुवाई महिलाएं कर रही हैं। साथ ही 29 आदर्श महिला हितैषी ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी पूरी तरह महिलाओं ने ही संभाल रखी है।

बिहार में साल 2010 के विधानसभा चुनाव में 54.5 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाले थे। तब पुरुष वोटों का आंकड़ा 53 फीसदी था। साल 2015 में महिलाओं का वोट प्रतिशत बढ़ कर 60.4 पहुंच गया। पुरुष प्रतिशत घट कर 51.1 फीसदी रह गया। इसके बाद 2020 में 59.7 फीसदी वोटों के साथ महिलाओं ने फिर बाजी मारी। पुरुष वोट प्रतिशत भी बढ़ा, लेकिन आंकड़ा 54.6 प्रतिशत तक ही पहुंच पाया। कुल 243 विधानसभा सीटों में से 167 पर महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले। एनडीए को 41 प्रतिशत महिलाओं के वोट मिले, जबकि महागठबंधन 31 फीसदी महिला वोट ही हासिल कर पाया।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से 26 पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले। साल 2019 में 32 लोकसभा सीटों पर महिला वोट प्रतिशत ज्यादा रहा। वर्ष 2024 में भी महिलाओं का वोट प्रतिशत 61 रहा, जबकि पुरुष वोट प्रतिशत 52 के आंकड़े तक ही पहुंच पाया। तब भी एनडीए को बढ़त हासिल हुई।

यही वजह है कि अब महागठबंधन ने भी महिलाओं को रिझाने की कोशिश शुरू कर दी है। आरजेडी ने ऐलान किया है कि अगर 2025 के चुनाव में इंडिया ब्लॉक की सरकार बनती है, तो हर मां और बहन को ढाई हजार रुपये हर महीने दिए जाएंगे। कांग्रेस ने भी यही ऐलान किया है। लेकिन क्या पीएम मोदी की मां को दी गई गाली का मसला इंडिया ब्लॉक के ऐलान पर भारी पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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