What is Central Vista Project सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट क्या है?

What is Central Vista Project सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट क्या है?

Central Vista Redevelopment Project देश का एक हिस्टॉरिकल कन्स्ट्रक्शन है. इसे 2026 की सरकारी ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया था. दरअसल 2026 में लोकसभा का डीलिमिटेशन यानी परिसीमन प्रस्तावित है. यानी लोकसभा की सीटों की संख्या को देश की आबादी के हिसाब से बढ़ाया जाएगा.

अभी लोकसभा में 543 सीटें हैं. 2026 में इन्हें बढ़ाकर 888 किया जा सकता है. दरअसल नियमों के मुताबिक हर दस लाख वोटर्स पर लोकसभा का एक सांसद होना चाहिए. 2019 के लोकसभा चुनाव में वोटर्स की संख्या लगभग 88 करोड़ थी. इस हिसाब से लोकसभा में सांसदों की संख्या 543 नहीं बल्कि 888 के आसपास होनी चाहिए. इसी को ध्यान में रखते हुए सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट के तहत जो लोकसभा भवन बनेगा उसमें 888 सांसदों के बैठने के लिए सीटें होंगी.

What is Central Vista Project सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट क्या है?

अभी जो लोकसभा का हॉल है उसमें लगभग 590 लोग बैठ सकते हैं. यानी लोकसभा के नए हॉल में पुराने हॉल के मुकाबले लगभग 300 सीटें ज्यादा होंगी. इसके अलावा विजिटर्स गैलरी में भी 336 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी. दूसरी तरफ राज्यसभा के लिए जो हॉल बनेगा उसमें 384 सीटें होंगी. अभी राज्यभा में 245 सांसद होते हैं जबकि राज्यसभा हॉल में 280 लोगों के बैठने की जगह है.

अब थोड़ा डीटेल में समझते हैं कि central vista क्या है और इसके Redevelopment plan में क्या क्या शामिल होगा. दरअसल इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक राजपथ के दोनों साइड के इलाके को सेंट्रल विस्टा कहते हैं. इस पूरे इलाके की लंबाई तीन किलोमीटर के करीब है.

राष्ट्रपति भवन,
नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक,
संसद भवन,
रेल भवन,
कृषि भवन,
निर्माण भवन,
और रक्षा भवन
सेंट्रल विस्ता में शामिल हैं.

इसके अलावा
नेशनल म्यूजियम,
नेशनल आर्काइव,
इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA),
उद्योग भवन,
बीकानेर हाउस,
हैदराबाद हाउस
और
जवाहर भवन भी सेंट्रल विस्ता का हिस्सा हैं.

ध्यान देने वाली बात ये है कि इनमें से ज्यादातर इमारतें 1931 से पहले की बनी हुई हैं. ये सब सेंट्रल विस्ता का हिस्सा हैं.

अब Central Vista Redevelopment Project के तहत इस पूरे इलाके का कायाकल्प किया जा रहा है. रिडेवेलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत पुराने संसद भवन के बगल में नया संसद भवन बनेगा. अभी जो संसद भवन है वो राउंड शेप में है जबकि नया संसद भवन ट्राएंगल शेप में बनेगा.

इसके अलावा रीडेवेलपमेंट में सांसदों के लिए अलग से ऑफिस बनेंगे. सेंट्रल सेक्रेटरिएट, सेक्रेटरिएट एनेक्सी, सपोर्ट फैसिलिटी, सेंट्रल कॉन्फ्रेंस सेंटर, पीएम ऑफिस, और पीएम हाउस भी बनेगा.
यहां इन महत्वपूर्ण बिल्डिंग्स के अलावा द मेकिंग ऑफ इंडिया, म्यूजियम ऑफ इंडियन डेमोक्रेसी, और भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने से जुड़ा एक म्यूजियम बनना है.

सेंट्रल विस्ता रीडेवेलपमेंट प्रोजेक्ट का प्रपोज़ल 2019 में मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स ने दिया था. वजह बताई गई थी कि सरकार के कामकाज के लिए जगह की कमी पड़ रही है. कई ऑफिस लगभग 100 साल पुराने हैं. कर्मचारी बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में इस पूरे इलाके के रिडेवलपमेंट की जरूरत है.

इसके बाद इस प्रोजेक्ट के लिए औपचारिकताएं पूरी की गईं और 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास कर दिया. इस पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 20 हजार करोड़ रुपए खर्च होने की बात हो रही है.

इसके बनने के बाद भारत सरकार के सभी मंत्रालयों के ऑफिस एक जगह पर आ जाएंगे. मेट्रो के जरिए इस जगह से गुड़गांव, फरीदाबाद और नोएडा कनेक्ट हो जाएंगे. संभावना है कि मेट्रो से निकलने के बाद कर्मचारी शटल बस में बैठकर सुंरग के अंदर से ही नई संसद तक पहुंच जाएंगे.

सच्चाई ये है कि देश को एक नए संसद भवन और मंत्रियों और प्रशासनिक अमले को काम करने और रहने के लिए नई इमारतों की जरूरत है. लगभग एक सदी पहले सेंट्रल विस्ता की ये इमारतें उस दौर में बनी थीं जब एयर कंडीशनर और टेलीफोन को भी लक्जरी समझा जाता था. डिजिटल दुनिया के बारे में तो तब किसी ने सुना भी नहीं था. जाहिर है, आधुनिक सुविधाओं और टेक्नोलाजी के लिहाज से ये इमारतें बेकार साबित हो रही हैं. बड़ी बात ये है कि सेंट्रल विस्ता में जगह नहीं होने के कारण कई मंत्रालय दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से काम कर रहे हैं और सालाना लगभग एक हजार करोड़ रुपये का किराया सरकार की ओर से चुकाया जा रहा है.

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