SP का गिरा 1 और विकेट, अखिलेश होंगे हिट विकेट?
SP का गिरा 1 और विकेट, अखिलेश होंगे हिट विकेट?
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के खेमे में ज़बरदस्त भगदड़ मची हुई है. समाजवादी पार्टी के नेता… पीडीए की अनदेखी का आरोप लगाते हुए एक एक करके अखिलेश से दूर जा रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य, पल्लवी पटेल, और कमलाकांत गौतम के बाद अब सलीम इकबाल शेरवानी ने भी सपा महासचिव पद से रिजाइन कर दिया है.
वो यूपी में किसी भी मुस्लिम को सपा की तरफ से राज्यसभा का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने को लेकर आलाकमान से नाराज चल रहे थे।
सलीम इकबाल शेरवानी ने अखिलेश पर मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। शेरवानी ने अखिलेश को एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने कहा कि वो जल्द ही अपने भविष्य को लेकर बड़ा फैसला लेंगे।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा देने से पहले सलीम इकबाल शेरवानी ने अपने करीबियों और समर्थकों के साथ दिल्ली स्थित इस्लामिक कल्चर सेंटर में बैठक की।
सलीम इकबाल शेरवानी का इस्तीफा अखिलेश के लिए झटका इसलिए है क्योंकि वो यूपी की बदायूं लोकसभा सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं। सलीम शेरवानी चार बार सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। एक बार कांग्रेस के टिकट पर वो संसद पहुंचे थे।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले शेरवानी सपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे हालांकि इसके बाद वो फिर सपा में आ गये थे.
शेरवानी के इस्तीफे से अखिलेश के पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, और अल्पसंख्यकों के लिए चलाए गये कैम्पेन को बड़ा सेटबैक लगा है.
शेरवानी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लिखे लेटर में कहा है कि यूपी में मुसलमान लगातार उपेक्षित महसूस कर रहा है। शेरवानी की शिकायत है कि राज्यसभा चुनाव के लिए सपा के तीन उम्मीदवारों में से एक भी मुस्लिम नहीं है।
शेरवानी लिखते हैं कि भले ही उनके नाम पर विचार नहीं होता लेकिन किसी मुसलमान को तो सीट मिलनी ही चाहिए थी।
शेरवानी के मुताबिक यूपी में मुसलमान को एक सहारे की ज़रूरत है और उन्हें लगता है कि सपा में रहते हुए वो मुस्लिमों की हालत में बड़ा बदलाव नहीं ला सकते.
पांच बार के सांसद सलीम शेरवानी ने अखिलेश पर आरोप लगाते हुए कहा कि अखिलेश लगातार पीडीए का नारा लगाते रहते हैं, लेकिन राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करते वक्त वो पीडीए का नारा भूल गये.
अखिलेश के साथ साथ शेरवानी ने इंडी गंठबंधन को लेकर भी निराशा जताई है. उन्होंने कहा कि इंडी गठबंधन का कोई दल मज़बूती से चुनाव लड़ने को लेकर सीरियस नहीं है. शेरवानी के बयान से साफ है कि इंडी गठबंधन का हर दल अपनी डफली अपना राग लेकर अपनी राह चल रहा है.
सलीम इकबाल शेरवानी से पहले कमलाकांत गौतम, पल्लवी पटेल, और स्वामी प्रसाद मौर्य अखिलेश पर पीडीए की अनदेखी का आरोप लगा चुके हैं. और एक तरह से धमकी दे चुके हैं कि अगर अखिलेश ने अपने तौर तरीके नहीं बदले तो वो किसी दूसरी पार्टी में भी जा सकते हैं.
सिराथू से विधायक पल्लवी पटेल तो शनिवार को कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में शामिल होकर अखिलेश को संकेत भी दे चुकी हैं कि उनकी राह अलग भी हो सकती है.
उधर राहुल गांधी भी यूपी में समाजवादी पार्टी और बीएसपी को एक अलग मैसेज देने की कोशिश में लगे हैं. अखिलेश से नाराज़ नेताओं को अपने पास बिठा कर वो ये संदेश दे रहे हैं कि यूपी में कांग्रेस की दावेदारी को कम करके ना आंका जाए. इसी के तहत राहुल ने पल्लवी पटेल को अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा में वाराणसी में शामिल होने का मौका दिया.
कांग्रेस ने संदेश दिया है कि आने वाले दिनों में सपा और बीएसपी के नाराज नेताओं के लिए कांग्रेस का दरवाजा खुला रहेगा. खासतौर पर तब जब सपा और कांग्रेस यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन करती हैं तो सलीम इकबाल शेरवानी, स्वामी प्रसाद मौर्य, और पल्लवी पटेल जैसे नेता किसी एक सीट से कांग्रेस कोटे से दावेदार हो सकते हैं।
इन नेताओं के पास एक ऑप्शन ये भी है कि वो खुद अपनी पार्टी के ज़रिए कांग्रेस से डायरेक्ट डील करें. ऐसे में वो ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि जो भी नेता सपा के पद से इस्तीफा दे रहा है वो अखिलेश के साथ दबाव की राजनीति खेल रहा है.
सपा के नेता लाख इनकार करें कि पार्टी किसी के दबाव में नहीं आएगी लेकिन चुनाव के ऐन पहले इतने लोगों की नाराजगी होने से पार्टी पर दबाव तो है. और दबाव का सबूत इस रूप में मिला है कि जो स्वामी प्रसाद मौर्य प्रयागराज में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने वाले थे उनके पास किसी न किसी रूप में संदेश भिजवाया गया है.
इस संदेश के बाद ही मौर्य प्रयागराज में राहुल की यात्रा में शामिल होने नहीं पहुंचे. पहले तय हो चुका था कि पल्लवी पटेल के बाद वो भी राहुल की यात्रा में शामिल होंगे लेकिन अब ऐसा नहीं हुआ क्योंकि मौर्य रविवार को प्रयागराज ना जाकर रायबरेली चले गये. उधर पल्लवी पटेल भी शनिवार को तो राहुल के साथ थीं लेकिन रविवार को वो भी यात्रा में शामिल नहीं हुई.
पल्लवी शनिवार को वाराणसी में यात्रा में शामिल होने के बाद लखनऊ चली गईं. एक मीडिया रिपोर्ट में तो ये भी छपा है कि पल्लवी पटेल ने वाराणसी में राहुल की यात्रा में उचित सम्मान नहीं मिलने से नाराजगी जताई है.
पल्लवी पटेल के करीबियों का कहना है कि वो यात्रा में क्यों नहीं शामिल हो रही हैं, इसका जवाब राहुल गांधी ही देंगे. रिपोर्ट्स में छपा है कि राहुल और अखिलेश की शायद कोई अंडरस्टैंडिंग हुई है जिसके बाद राहुल ने स्वामी प्रसाद मौर्य और पल्लवी से फिलहाल दूरी बनाए रखने का फैसला किया है.
एक रिपोर्ट ये भी है कि स्वामी प्रसाद मौर्य और पल्लवी के राहुल गांधी की न्याय यात्रा में शामिल होने की खबरों से अखिलेश यादव नाराज हो गये हैं.
इन रिपोर्ट्स पर पल्लवी पटेल के पति और अपना दल कमेरावादी के राष्ट्रीय महासचिव पंकज निरंजन ने कहा है कि पल्लवी पटेल के प्रयागराज ना जाकर लखनऊ चले आने की वजह का जवाब राहुल गांधी और कांग्रेस के लोग ही देंगे.
उधर स्वामी प्रसाद मौर्य की टीम ने बताया कि उन्हें राहुल की यात्रा रद्द होने की जानकारी मिली थी इसलिए स्वामी प्रसाद मौर्य रायबरेली चले गये. मौर्य की टीम ने ये भी कहा कि
अगर कांग्रेस आगे की यात्रा के बारे में जानकारी देगी तो विचार किया जाएगा.
दोस्तो यूपी में इंडी गठबंधन का ये हाल है. कल तक जो पल्लवी पटेल राहुल गांधी को पिछड़ों, दलितों, और अल्पसंख्यकों का रहनुमा बता रही थीं एक दिन बाद वो कांग्रेस से ऐसे मुंह मोड़ कर चली गईं जैसे वंचितों के हक की लड़ाई कोई खेल हो. जब मन आया तो किसी के पक्ष में नारे लगा दिये, जब मन आया तो छोड़ कर चलते बने. इससे साफ जाहिर होता है कि ये सभी केवल अपने अपने टिकट के चक्कर में लगे हैं. पीडीए इनमें से किसी की भी प्रायोरिटी में नहीं है.