Gayatri Mantra गायत्री मंत्र Gayatri Mantra in Hindi

Gayatri Mantra गायत्री मंत्र Gayatri Mantra in Hindi

Gayatri Mantra गायत्री मंत्र Gayatri Mantra in Hindi

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्  

Aum Bhurbhuvah Svah Tatsviturvarenym Bhargo Devasyah Dheemahi Dhiyo Yo Nah Prachodayaat

मंत्र केवल शब्दों का संग्रह नहीं होता। ये शब्दों का एक ऐसा विशेष समूह होता है जिसका भारी और गूढ़ महत्व होता है।


चारों वेदों से मिलकर बने गायत्री मंत्र का सही ढंग से उच्चारण करने से मनुष्य के जीवन में बड़ा बदलाव आता है।

ये मनुष्य की आंतरिक यानी अंदरूनी शक्ति से निकलता है। अद्भुत ताकत और शक्ति से भरा ये परिपूर्ण मंत्र जब सही तरीके से बोला जाता है तो इसका काफी असर महसूस किया जाता है। Gayatri Mantra गायत्री मंत्र का जाप करने से इंसान का शरीर निरोगी बनता है और उसे इंसान को नाम, पैसा और शोहरत भी हासिल होती है।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्  

Aum bhurbhuvah svah tatsviturvarenym bhargo devasyah dheemahi dhiyo yo nah prachodayaat

Gayatri Mantra गायत्री मंत्र का अर्थ(Meaning)

गायत्री मंत्र भगवान सूर्य की प्रार्थना में गाया जाता है। मंत्र इंसान की दिव्य शक्ति को बाहर लाता है। मंत्र के उच्चारण से जो कंपन पैदा होता है वो ब्रह्मांड में मौजूद नाद यानी प्राणमय ध्वनि के साथ मिलकर सार्वभौमिक चेतना में मिल जाता है। यही ब्रह्मांडीय कंपन ही आध्यात्मिक ज्ञान के पवित्र रहस्य का रूप ले लेता है।

इसका अर्थ नीचे दिया गया है।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्  

Aum bhurbhuvah svah tatsviturvarenym bhargo devasyah dheemahi dhiyo yo nah prachodayaat

उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें. वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे.

गायत्री मंत्र के हर शब्द का क्या अर्थ है?

गायत्री मंत्र के शुरू के नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं।

ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाने करने वाला
भुवः = दुखों का नाश करने वाला
स्वः = सुख प्रदान करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की तरह उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु का
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि,
यो = जो,
नः = हमारी,
प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें

गायत्री मंत्र का जाप कब करना चाहिए?


गायत्री मंत्र बेहद आसान है। इसका जाप सरलता से किसी भी वक्त किया जा सकता है।हालांकि फिर भी इसके बारे में कुछ नियम हैं। कहा जाता है कि गायत्री मंत्र का जाप एक दिन में 3 बार किया जाना चाहिए।

पहला वक्त
सुबह सूरज उगने के पहले से लेकर सूरज निकल जाने तक लगातार जाप

दूसरा वक्त
दोपहर को

तीसरा वक्त
शाम को सूरज डूबने से कुछ देर पहले से लेकर सूरज छिपने तक लगातार।

हिन्दू मान्यता के मुताबिक गायत्री मंत्र को विशेष दर्जा दिया गया है।

कई साइंटिफिक स्टडी और सर्वे में ये साबित हुआ है कि गायत्री मंत्र से इंसान के शरीर और दिमाग को कई फायदे होते हैं।


इसके जाप से इंसान को मानसिक शांति मिलती है, चेहरे पर चमक आती है, प्रसन्नता का अहसास होता है, इंद्रियों की कार्यशीलता बढ़ती है, गुस्सा काम आता है और दिमाग की क्षमता बढ़ती है।

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