Freedom at Midnight रात 12 बजे ही भारत को आज़ादी क्यों?

Freedom at Midnight रात 12 बजे आज़ादी क्यों?

Freedom at Midnight रात 12 बजे आज़ादी क्यों?

भारत को आज़ाद हुए कई दशक बीत चुके हैं. 15 अगस्त 1947 को हमें अंग्रेज़ों की गुलामी से आज़ादी मिली थी. भारत की आज़ादी का जो वक्त तय किया गया था वो था 14 अगस्त 1947 और 15 अगस्त 1947 के बीच रात 12 बजे का.


लेकिन क्या कभी आपने ये जानने की कोशिश की है कि भारत की आज़ादी के
लिए रात 12 बजे Freedom at Midnight का वक्त ही क्यों तय किया गया ?

सबसे पहले जानते हैं कि भारत को आज़ाद करने के लिए 1947 का साल क्यों
चुना गया.

देश भर में आज़ादी के लिए चलाए जा रहे आंदोलनों से देश की जनता आज़ादी
को लेकर पूरी तरह जागरुक हो चुकी थी.

गांधीजी और सुभाष चंद्र बोस ने अपने-अपने तरीकों से अंग्रेजों की नाक में दम
कर रखा था.

1945 में दूसरा विश्व युद्ध खत्म होते-होते इंग्लैंड की आर्थिक हालत खस्ता हो
चुकी थी. स्थिति ऐसी थी कि भारत चलाने की बात तो छोड़ो अंग्रेज़ खुद अपना
देश चलाने में असमर्थ हो गए थे.

इसके अलावा 1945 के ब्रिटिश चुनावों में लेबर पार्टी की जीत ने भी भारत की
आज़ादी के रास्ते खोल दिए थे.

दरअसल लेबर पार्टी ने चुनाव से पहले अपने मैनिफेस्टो में भारत जैसी दूसरी
इंग्लिश कॉलोनियों को आज़ादी देने की बात कही थी.

भारतीयों और अंग्रेजों में कई मतभेदों और कई हंगामों के बावजूद भारतीय नेताओं की
बात लार्ड वेवेल से शुरू हो गयी थी.


फरवरी, 1947 में लार्ड माउंटबैटन को भारत का आखिरी वायसराय चुना गया. माउंटबैटन को व्यवस्थित तरीके से भारत को स्वतंत्रता दिलाने का काम सौंपा गया था.

शुरुआत में ये तय किया गया कि भारत जून, 1948 में आज़ाद होगा.वायसराय बनने के बाद लॉर्ड माउंटबैटन भारतीय नेताओं से बात कर रहा था.हालांकि बातचीत के दौरान कई मुश्किलें और रुकावटें आ रही थीं.

भारत में जिन्ना और नेहरू के बीच बंटवारे को ले कर पहले से ही खींचतान
चल रही थी. मोहम्मद अली जिन्ना ने अलग देश बनाने की मांग रख दी थी
जिसकी वजह से भारत के कई क्षेत्रों में साम्प्रदायिक झगड़े शुरू हो गए थे.

माउंटबैटन को इसकी उम्मीद नहीं थी. हालात को और बिगड़ने से रोकने के
लिए आज़ादी 1948 की जगह 1947 में ही देने की बात तय हो गयी.

दूसरा सवाल है कि आज़ादी की तारीख 15 अगस्त ही क्यों चुनी गई. ऐसा
इसलिए क्योंकि लार्ड माउंटबैटन 15 अगस्त की तारीख़ को शुभ मानता था.
इसके पीछे वजह ये थी कि 1945 में द्वीत्तीय विश्व युद्ध के वक्त 15 अगस्त
के दिन ही जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था और उस समय लार्ड
माउंटबैटन अलाइड फ़ोर्सेज़ का कमांडर था.

अगला बड़ा सवाल है कि आखिर भारत की आज़ादी के लिए रात के 12 बजे का
ही वक्त क्यों चुना गया. जैसा कि हमने पहले बताया कि पहले आजादी की
तारीख 3 जून 1948 तय की गई लेकिन फिर माउंटबैटन ने इसे 15 अगस्त
1947 कर दिया. तारीख बदलते ही देश भर के ज्योतिषियों में खलबली मच गई क्योंकि उनके मुताबिक ये तारीख अमंगल और अपवित्र थी. लॉर्ड माउंटबैटन
को दूसरी तारीखें भी सुझाई गईं लेकिन वो 15 अगस्त पर ही अड़ा रहा.

इसके बाद ज्योतिषियों ने बीच का रास्ता निकालते हुए 14 अगस्त और 15
अगस्त के बीच यानी रात के 12 बजे का वक्त तय किया. ऐसा इसलिए किया
गया क्योंकि हिन्दुओं के हिसाब से दिन सूर्योदय के वक्त शुरू होता है जबकि
अंग्रेज़ों के हिसाब से रात के 12 बजे से.

ज्योतिषियों ने नेहरू जी को ये भी कहा था कि उन्हें अपनी आज़ादी की स्पीच
अभिजीत मुहूर्त में 11:51 PM से 12:39 AM के बीच ही देनी होगी. ये भी कहा
गया कि नेहरू जी को अपनी स्पीच रात 12 बजे तक ख़त्म कर देनी होगी
जिसके बाद शंखनाद किया जाएगा, जो एक नए देश के जन्म की गूंज दुनिया
तक पहुंचाएगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *