BJP के साथ डील नहीं, विश्वास है
BJP के साथ डील नहीं, विश्वास है
संसद में जयंत से बदतमीज़ी
10 फरवरी को संसद में एक अलग ही नज़ारा देखने को मिला. जो जयंत चौधरी कल तक विपक्ष के खेमे में बैठा करते थे वो सत्ता पक्ष के साथ बैठे नज़र आये. और जो विपक्षी दल जयंत को दुलारा मानते थे उन्हें राज्यसभा में जयंत चौधरी के मुँह खोलने पर भी ऐतराज़ था.
ख़ास बात ये रही कि जब कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य पार्टियों के सदस्यों ने जयंत चौधरी के साथ बदतमीज़ी की तो उनके बचाव में राज्यसभा के सभापति और केंद्र सरकार के मंत्री आ गये.
आप जानते हैं कि 9 फ़रवरी को देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया था. चौधरी चरण सिंह जयंत चौधरी के दादा भी थे. 10 फ़रवरी को संसद के बजट सत्र का आखिरी दिन था और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने पर जयंत चौधरी को राज्यसभा में बोलने का मौका दिया गया था.
कांग्रेस और विपक्षी दलों को इसी पर ऐतराज़ था. विपक्षी नहीं चाहते थे कि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिये जाने पर कोई बयान दें.
जैसे ही जयंत चौधरी ने बोलना शुरू किया तो विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में हंगामा शुरू कर दिया. कांग्रेस सदस्यों ने जयंत के बोलने पर ही आपत्ति जता दी और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति से पूछा कि किस नियम के तहत जयंत को बोलने की अनुमति दी गई है?
खड़गे के आपत्ति जताने पर बाकी सदस्य भी राज्यसभा में तेज़ हंगामा करने लगे. दरअसल जयंत चौधरी अपने दादा को भारत रत्न दिये जाने के लिए सरकार का धन्यवाद कर रहे थे शायद यही बात विपक्षी सांसदों को चिढ़ा गई.
जयंत ने अपने भाषण में कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार एक जमीनी सरकार है जो जमीन की आवाज को समझती है और बुलंद करना चाहती है. जयंत ने कहा कि ऐसी ही सरकार धरतीपुत्र चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न दे सकती है.
जयंत चौधरी ने कहा, ‘देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न देने का फैसला किया। यह एक बहुत बड़ा फैसला है। इस फैसले के बाद देश के हर कोने में इस निर्णय की गूंज पहुंची है और गांव-गांव में दिवाली मनाई गई।’
जयंत के भाषण के बीच ही विपक्ष के कुछ सदस्यों ने शोर मचाना शुरू कर दिया। थोड़े-बहुत हंगामे के बाद जब जयंत को बोलने का मौका मिला तो उन्होंने कहा, ‘मैं सांसदों द्वारा सदन की कार्रवाई के दौरान हुए दुर्व्यवहार को लेकर दुखी हूं।’ उन्होंने कहा कि किसी महान शक्सियत को सम्मान देने पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि 10 साल वो विपक्ष में रहे हैं. कुछ ही देर वो सदन में सत्ता पक्ष की तरफ बैठे हैं. जयंत ने कहा कि उन्होंने देखा है कि पिछले 10 साल में मोदी सरकार की कार्यशैली में भी चौधरी चरण सिंह की झलक है। जब प्रधानमंत्री ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय की बात करते हैं, जब महिला सशक्तिकरण पर भारत सरकार गांव-गांव में जागरूकता फैलाती है, तो जयंत को उसमें चौधरी चरण सिंह जी की बोली याद आती है।’
विपक्ष के हंगामे पर जयंत ने कहा कि 10 फरवरी को राज्यसभा में कांग्रेस ने जो किया उससे कांग्रेस को नुकसान ही होगा. कोई व्यक्ति अगर चौधरी साहब पर कुछ बोलना चाहता है और उसे रोका जाएगा तो गांव के लोग और किसान आहत ही होंगे.
जयंत ने पूछा कि कांग्रेस के पास बहुत मौका था लेकिन उन्होंने पहले चौधरी साहब को सम्मान क्यों नहीं दे दिया.
जयंत चौधरी ने अपने भाषण में कहा कि भारत रत्न सबसे बड़ा सम्मान है। उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग मानते हैं कि चौधरी चरण सिंह सिर्फ जाटों के नेता थे, सिर्फ किसानों की वकालत करते थे, लेकिन ऐसा नहीं है।
वो एक विचारक थे। भारत सरकार ने चौधरी चरण सिंह जी को जो भारत रत्न दिया है, उससे 2 बड़े काम हो गए हैं। पहला, चौधरी चरण सिंह को लेकर छात्रों और नौजवानों के अंदर एक नई जिज्ञासा पैदा हुई है।
दूसरा, सरकार ने भारत रत्न देकर हौसला बढ़ाया है। भारत रत्न महज पुरस्कार नहीं है, सबसे बड़ा सम्मान है।’
जयंत ने कहा कि चौधरी साहब के निधन के 37 साल बाद एक सरकार ने उन्हें सम्मानित किया है और इसमें अगर किसी को किसी तरह की गलती या कुछ बातचीत दिखाई दे रही है तो ये उनके वैचारिक पतन का प्रतीक है.
हंगामे के बीच कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने तो यहां तक कह दिया कि अब अगर जयंत चौधरी एनडीए में जाते हैं तो उससे तो यही साबित होगा कि भारत रत्न की सौदेबाजी हुई है और उनको अब तो बिल्कुल भी एनडीए का हिस्सा नहीं बनना चाहिए.
जब सदन में विपक्षी सांसद जयंत चौधरी के साथ दुर्वयवहार कर रहे थे तो केंद्र सरकार में मंत्री परुषोत्तम रुपाला उनके बचाव के लिए आगे आए. उन्होंने कहा कि ‘इस देश में किसानों की आवाज रोकने वाला कोई पैदा नहीं हुआ है…’। नहीं होगा…होगा भी नहीं। आप एक किसान की प्रशंसा नहीं सुन सकते हो। एक किसान को भारत रत्न मिला इसमें कांग्रेस के खेमे में क्यों आग लग गई?’
परुषोत्तम रूपाला ने कहा कि ‘सदन में नियमों का पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें हैरानी है कि जब सदन में चौधरी चरण को भारत रत्न मिलने पर उनके पोते जयंत चौधरी समेत पूरा सदन बधाई देने के लिए बैठा था, तो कांग्रेस ने खड़े होकर इसका विरोध क्यों किया?’
रूपाला ने कहा कि ‘जब नेता विपक्ष बोलते हैं तो सभापति हमें बोलते हैं कि नेता विपक्ष बोल रहे हैं, उनकी बात सुनिए, लेकिन अब वही नेता विपक्ष सभापति को बोल रहे हैं कि आप अपनी मर्जी नहीं चला सकते और वो भी ऐसे मौके पर, जब एक किसान को भारत रत्न देने का फैसला किया गया हो। यही कांग्रेस का चरित्र है।’
जयंत चौधरी को बोलने से रोकने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने भी नाराज़गी जताई. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और जयराम रमेश की टिप्पणियों पर नाराजगी जताते हुए धनखड़ ने कहा कि वो किसान और किसान वर्ग का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते. वो किसान वर्ग से आते हैं इसका मतलब ये नहीं कि वो कमजोर सभापति हैं. सभापति ने आगे कहा कि वो चौधरी चरण सिंह का अपमान नहीं सहन करेंगे.
जयंत चौधरी और विपक्षी सांसदों ने बाद में मीडिया से भी बात की.
बीजेपी और आरएलडी के गठबंधन पर जयंत ने बयान दिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ उनकी डील नहीं विश्वास की बात है. जयंत ने साफ कर दिया है कि वो अपनी पार्टी के लिए जिम्मेदार हैं और अपने लोगों की भलाई के लिए ही फैसला करेंगे.
उधर समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने जयंत चौधरी पर जुबानी अटैक करते हुए कहा कि जिनका चरित्र भागने वाला है वो वापस भी आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कौन कहां जा रहा है कहां नहीं जा रहा.”
हालांकि फर्क ना पड़ता होता तो पूरा विपक्ष संसद में जंयत चौधरी के सिर्फ बोलने पर ही इतना ना बौखला जाता. सोचिए अगर विपक्ष राज्यसभा में जयंत चौधरी को बोलने का मौका मिलने से ही परेशान है वो बीजेपी-आरएलडी गठबंधन से कितना परेशान और निराश होगा. आपको क्या लगता है अपनी राय कॉमेंट में ज़रूर बताए. मिलते हैं किसी और विषय के साथ. नमस्कार