Jodhpur Tourism जोधपुर Best places to visit in Jodhpur
Best Places to visit in Jodhpur जोधपुर में घूमने के लिए बेस्ट जगह
Jodhpur Travel Guide
Best places to visit in Jodhpur
देश का सबसे बड़ा राज्य… राजस्थान…
भारत के भव्य इतिहास का प्रतीक… राजस्थान…
राष्ट्र का गौरव राजस्थान राजा-महाराजाओं का गढ़ रहा है…यहां की धरती बहादुरी और वैभव की अनगिनत कहानियां खुद में समेटे हुए है…यहां के महल, किले और मंदिर जहां इस राज्य की ऐतिहासिक महानता के साक्षी हैं वहीं रेगिस्तान, झीलें, वन अभ्यारण्य और तीज-त्योहार संस्कृति के अलग-अलग रंगों को पेश करते हैं…
राजस्थान की ऐतिहासिक परंपरा, संगीत, खाना और मेहमानों को भगवान मानने वाले यहां के लोग इसे देश का सबसे रंगीला राज्य बनाते हैं. अपनी इन्हीं खासियतों की वजह से राजस्थान दुनिया भर के लोगों में सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के तौर पर जाना जाता है…
वैसे तो राजस्थान के हर शहर की कुछ अलग खासियत है लेकिन Jodhpur जोधपुर परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम है…जोधपुर राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है…इसे थार मरूस्थल का एंट्री गेट भी कहा जाता है…
इस शहर पर ऊंचाई से एक नज़र डालें तो यहां सभी निर्माण हल्के नीले रंग के दिखाई देते हैं… महलों, मंदिरों, हवेली और यहां तक कि घरों को भी नीले रंग से रंगा गया है…इसी वजह से जोधपुर Jodhpur को ब्लू सिटी भी कहा जाता है…
Jodhpur जोधपुर शहर पर साल भर सूर्यदेव की कृपा रहती है..इसलिए जोधपुर को सन सिटी के नाम से भी जाना जाता है…
जोधपुर का इतिहास राठौड़ वंश के इर्द-गिर्द घूमता है… राठौड़ वंश के पन्द्रहवें शासक तथा जोधपुर के संस्थापक राव जोधा के नाम पर जोधपुर शहर का नामकरण किया गया…राव जोधा ने 1459 में जोधपुर का निर्माण कराया था…
किले, महल, मंदिर, हवेलियाँ और बहुत सारे पर्यटन स्थल, जोधपुर को पर्यटकों में लोकप्रिय बनाते हैं…इनमें सबसे बड़ा नाम है मेहरानगढ़ किले का…ये भव्य किला इस शहर को एक अलग पहचान देता है…जब इस किले का निर्माण कराया गया था तो राव जोधा अपना शासन मण्डोर से चलाया करते थे…राव जोधा ने मण्डोर के दक्षिण में 6 मील की दूरी पर एक नया क़िला बनवाना शुरू किया था… नए क़िले को बनाने के लिए ख़ास सामरिक महत्व वाली ऊंची जगह का चुनाव किया गया…ये पहाड़ी… क़िले की रक्षा और मोर्चाबंदी के लिए बेहद उपयुक्त थी… किले की दीवार पाँच सौ गज़ से ज्यादा लम्बी और सत्तर फुट चौड़ी है… क़िले का नाम मेहरानगढ़ रखा गया जिसका मतलब है सूर्य का किला… इससे सूर्य देवता के प्रति राठौड़ वंश की श्रद्धा का भी पता चलता है…
Jodhpur जोधपुर के शाही दरबार के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण और बेशक़ीमती चीज़ों को यहां एक म्यूज़ियम में सुरक्षित रखा गया है… मेहरानगढ़ म्यूज़ियम की अनोखी पहचान और महत्त्व है… इसमें 17 वीं, 18 वीं और 19 वीं शताब्दी के मिनिएचर पेंटिंग्स, हथियार और कलाकृतियां मौजूद हैं… इसमें सजावट की चीज़ें, फर्नीचर और सुंदर कपड़ों को भी रखा गया है…
मेहरानगढ़ किला 125 मीटर ऊंची एक सीधी पहाड़ी पर स्थित है…इतिहास के थपेड़ों को मात देता ये किला इस चट्टान पर आठ दरवाज़ों के साथ आज भी मज़बूती से खड़ा है…
मेहरानगढ का किला आज भी गवाही देता है कि किस तरह जयपुर की सेनाओं ने इसके दूसरे दरवाज़े पर तोप से हमला किया था…किले की खासियत इसके झरोखे, दरवाज़े और दीवारें तो हैं ही साथ ही मोती महल, फूल महल और शीश महल भी इसके ऐतिहासिक महत्व को बताते हैं…
मोती महल एक सभा मंडप था जहां शाही परिवार अपनी प्रजा के साथ रूबरू होते थे… मोती महल की विशेषता इसकी कांच की खिड़कियाँ और पांच कोने हैं…
मेहरानगढ़ की अगली खासियत शानदार कांच और दर्पण से सजी दीवारों वाला शीशमहल है…इसकी छतों, फर्श के किनारों और दीवारों पर सुंदर सजावट है… दीवारों पर चाक मिट्टी में चमकते रंगों से धार्मिक आकृतियों को शीशे के काम से उकेरा गया है…
ये फूल महल है…इसे राजा के मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किया जाता था…महल की सजावट के लिए सोने का भी इस्तेमाल किया गया था…
लाल रंग से दमकते मेहरानगढ़ किले के साथ ही मोती से चमकते जसवंत थड़े का नज़ारा भी देखा जा सकता है…19वीं शताब्दी के आखिर में बना सफेद संगमरमर का ये आकर्षक स्मारक नायक जसवंत सिंह को समर्पित है… Jodhpur जोधपुर पर शासन करने वाले जसवंत सिंह ने अपने राज में अनेक निर्माण और विकास कार्य करवाए…जसवंत सिंह ने अपराध को कम करने, रेल सेवा निर्माण और मारवाड़ की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए अनेक ठोस कदम उठाये थे…
मेहरानगढ़ किले की तारीफ पूरी दुनिया में की जाती है… इसका संरक्षण, समृद्धि, मजबूती और रख रखाव काबिले तारीफ है…यही वजह है कि मेहरानगढ़ का किला फिल्ममेकर्स की नज़र में हमेशा बना रहता है…2015 में रिलीज़ हुई तमिल फिल्म आई में मेहरानगढ़ किले की खूबसूरती का बखूबी इस्तेमाल किया गया है…फिल्म आई के कई सीन्स में ब्लूसिटी जोधपुर का पिक्चराइज़ेशन लाजवाब है…
राजस्थान में आने वाले सभी देशी-विदेशी पर्यटक जब इस किले को देखते हैं तो सिर इतना ऊँचा करना पड़ता है कि उनकी टोपी गिर जाती है… इसी किले के नज़दीक नया बसाया गया शहर है…परंपरा और आधुनिकता का ऐसा मेल शायद ही कहीं और देखने को मिले…राजस्थान सरकार जोधपुर में पर्यटन को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासों में लगी रहती है…
मेहरानगढ़ फोर्ट के साथ ही बना हुआ है चोखेलाव बाग… ये दो सौ साल पुराना बाग़ है… इसे मेहरानगढ़ म्यूज़ियम ट्रस्ट द्वारा एक बोटैनिकल म्यूज़ियम के रूप में बदल दिया गया है…चोखेलाव बाग में मारवाड़ इलाके के ऐतिहासिक पेड़ पौधे लगाए और प्रदर्शित किए गए हैं… ये बाग़ गुज़रे ज़माने की तरह आज भी प्रकृति की सुन्दरता और प्राकृतिक छठा से लबरेज़ है…
जोधपुर और आस पास के इलाकों के लोगों को आज भी मारवाड़ी के नाम से जाना जाता है… जोधपुर केवल यहीं पाए जाने वाले मारवाड़ी या मालानी घोड़ों की दुर्लभ नस्ल के लिए भी जाना जाता है…
अगर मुख्य शहर से 85 किलोमीटर की दूरी तय करें तो ग्रामीण अंचल में 400 साल पुराना खेजरला किला भी देखने लायक है…हालांकि अब इसे होटल में बदल दिया गया है लेकिन फिर भी सुर्ख लाल बलुआ पत्थर से बना ये ऐतिहासिक स्मारक राजपूत स्थापत्य कला का एक अच्छा उदाहरण है…
Jodhpur जोधपुर को उम्मेद भवन महल के लिए भी जाना जाता है…ये बीसवीं सदी का इकलौता ऐसा महल है जो बाढ़ राहत परियोजना के तहत बनाया गया था…इस महल की शान आज भी बरकरार है…इसकी सजावट, हरे-भरे बगीचे और रात के वक्त की जाने वाली लाइटिंग इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती है…1929 में महाराजा उम्मेद सिंह ने उम्मेद भवन महल अकाल राहत योजना में बनवाया था…छीतर पहाड़ी पर बने इस महल को छीतर महल भी कहा जाता है…ये महल हेनरी वॉघन लैन्चेस्टर नाम के ब्रिटिश वास्तुकार ने डिजाइन किया था…और इसे बनाने में 16 साल लगे थे…बलुआ पत्थर और संगमरमर से इस महल को बनाने के लिए इंडो सरसेनिक क्लासिकल रिवाइवल और पश्चिमी आर्ट डेको शैली का इस्तेमाल किया गया है…ये दुनिया के सबसे बड़े निजी निवास स्थानों में से एक माना जाता है…कुछ साल पहले इस महल को होटल में बदल दिया गया…अब राजस्थान में आने वाले समृद्ध पर्यटक इसी में ठहरना पसंद करते हैं…
Jodhpur जोधपुर के प्रमुख मंदिरों की बात करें तो महामंदिर मंदिर, चामुंडा माताजी मंदिर और मंडलेश्वर महादेव यहां आस्था के बड़े केंद्र हैं…इनमें से चामुंडा माताजी मंदिर मेहरानगढ़ किले में ही स्थित है…देवी चामुंडा माताजी राव जोधा की आराध्य देवी थीं और इसलिए उनकी प्रतिमा मेहरानगढ़ किले में प्रतिष्ठित की गई थी… बाद में किले में पूजा का स्थान बन गया और वहां एक मंदिर भी बना दिया गया… अब स्थानीय लोग चांमुडा माता की पूजा की परम्परा निभाते आ रहे हैं… देवी चामुंडा माताजी आज भी शाही परिवार की कुल देवी हैं…
मंडलेश्वर महादेव भी जोधपुर का एक प्रमुख मंदिर है जिसका निर्माण 923 ई. में श्री मंडलनाथ ने किया था… ये शहर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है… मंदिर की दीवारों में भगवान शिव और देवी पार्वती की तस्वीरें हैं…
इसके अलावा महामंदिर मंदिर मंडोर मार्ग पर स्थित है…ये मंदिर अनूठे वास्तुशिल्प का प्रत्यक्ष प्रमाण है…ये 84 खंभों पर टिका है…इसकी दीवारों पर योग के अलग-अलग पदों को सुंदर तरीके से दिखाया गया है…
मण्डोर का पुराना नाम माण्डवपुर था… ये मारवाड़ राज्य की राजधानी हुआ करता था… जोधपुर के उत्तर में स्थित मण्डोर का अपना ऐतिहासिक महत्व है… यहां जोधपुर के पूर्व शासकों के स्मारक और छतरियां हैं… यहां हिन्दू मंदिरों की संरचना की झलक साफ देखी जा सकती है…
राजस्थान के तीन सबसे सुंदर और प्रसिद्ध उद्यानों में से एक है मसूरिया हिल्स…मसूरिया हिल्स जोधपुर के बीच में मसूरिया पहाड़ी पर है… यहां स्थानीय देवता बाबा रामदेव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है…इसी वजह से ये जगह भक्तों में काफी लोकप्रिय है… यहाँ एक होटल भी है जहां से पूरे शहर को निहारा जा सकता है…
Jodhpur जोधपुर की खूबसूरती बढ़ाने में यहां बनाई गई झीलों का भी बड़ा योगदान है…इनमें पहले नंबर पर आती है कायलाना झील…जैसलमेर रोड पर ये एक छोटी आर्टिफिशियल लेक है…कायलाना झील एक सुंदर पिकनिक स्पॉट है…राजस्थान टूरिज़्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन यानी आरटीडीसी ने यहां बोटिंग का भी इंतज़ाम किया हुआ है…कायलाना झील में बोटिंग यहां आने वाले टूरिस्ट्स के लिए एक बड़ा आकर्षण है…
इसके अलावा Jodhpur जोधपुर में 2 और झीलों का बड़ा नाम है…ये हैं रानीसर और पद्मसर… मेहरानगढ़ में फतेह पोल के पास 1459 में बनाई गई ये झीलें भी कृत्रिम झीलें हैं… रानीसर झील, राव जोधा की पत्नी रानी जसमदे हाड़ी के आदेश पर बनवाई गई थी जबकि पद्मसर झील को राव गंगा की रानी एवं मेवाड़ के राणा सांगा की बेटी ने बनवाया था…
जोधपुर की झीलों का ज़िक्र सरदार समंद झील के बिना पूरा नहीं हो सकता…यहां पर्यटकों के देखने, घूमने और मनोरंजन के लिए बहुत कुछ है…महाराजा उम्मेद सिंह के शाही परिवार के सदस्यों के मनोरंजन के लिए सरदार समंद झील के किनारे बोट हाउस, स्विमिंग पूल, टेनिस और स्कवॉश कोर्ट बनवाए गए थे… 1933 में महाराजा उम्मेद सिंह ने झील के किनारे पर एक शानदार शिकारगाह बनवाया जो एक महल है.. यहां शाही परिवार की ऐतिहासिक चीज़ों का कलेक्शन है… इनमें ढेर सारी अफ्रीकी ट्रॉफियां और प्राचीन तस्वीरें हैं… सरदार समंद झील में अनेक प्रवासी और स्थानीय पक्षियों का प्रवास सैलानियों को खूब लुभाता है… यहां हरा कबूतर, हिमालय क्षेत्र का गिद्ध और चितकबरी बड़ी बतख़ पाए जाते हैं… पक्षी प्रेमियों के लिए ये एक ऐसी लोकेशन है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता …
वाइल्ड लाइफ़ में इंट्रेस्ट रखने वालों के लिए Jodhpur जोधपुर में एक और लोकेशन है…कायलाना झील से करीब 1 किलोमीटर दूर जैसलमेर मार्ग पर स्थित है माछिया सफारी उद्यान…ये एक पक्षीविहार है… यहां हिरण, रेगिस्तान की लोमड़ियां, बड़ी छिपकली, नीलगाय, ख़रगोश, जंगली बिल्लियां, लंगूर और बंदर जैसे कई जीव देखे जा सकते हैं.. ये पार्क सनसेट यानी सूर्यास्त के खूबसूरत नज़ारे के लिए भी फेमस है…
Jodhpur जोधपुर में उम्मेद बाग के बीच बना जोधपुर राजकीय संग्रहालय भी एक महत्वपूर्ण स्थल है…यहां हथियारघर, शाही वस्त्र और गहने, स्थानीय कला और शिल्प, लघु चित्रकारी, शासकों के चित्र, पांडुलिपियां और जैन तीर्थंकरों की तस्वीरों समेत प्राचीन अवशेषों का एक समृद्ध संग्रह है… इसी के नज़दीक एक चिड़ियाघर भी है जहां वन्यजीव प्रेमी जाते हैं और प्राकृतिक वातावरण में अच्छा खासा वक्त बिताते हैं…
अगर जोधपुर शहर की बात करें तो यहां बीचोंबीच स्थित है ये घंटाघर…Best Places to visit in Jodhpur इसका निर्माण जोधपुर के महाराजा श्री सरदार सिंह जी ने कराया था… यहां के सबसे व्यस्त सदर बाज़ार में स्थित ये घंटाघर देशी और विदेशी पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है… यहां राजस्थानी छपाई के कपड़े, मिट्टी की मूर्तियां, बर्तन, खिलौने, पीतल, लकड़ी व संगमरमर के बने ऊँट-हाथी और मार्बल-इन-ले में बना सजावटी सामान अच्छे दाम पर मिल जाता है…हाई क्वालिटी वाले चांदी के जड़ाऊ गहने खरीदने के लिए भी ये जगह बेस्ट है…
Jodhpur जोधपुर का अगला आकर्षण है गुडा यानी बिश्नोई गांव…गुडा गांव, वन्य जीवन और प्रकृति का एक बेहतरीन उदाहरण है…यहां के लोगों का जीवन आज भी शहर के शोर और नकली जीवन शैली से दूर पुराने अन्दाज़ और संस्कृति में रचा-बसा है…बिश्नोई समाज प्रकृति प्रेमी रहा है… ये समाज सभी जीवों की पवित्रता और उनके संरक्षण में विश्वास करता है…
देवी विदेशी पर्यटकों को जीप और घोड़ों से बिश्नोई गाँव का दौरा कराया जाता है… पर्यटक इस टूर में गाँव के लोगों का रहन-सहन, पहनावा, रीति-रिवाज़, गहने, खाना-पकाना और घरों को गारे से लीपना नजदीक से देख सकते हैं…ये गांव हजारों प्रवासी पक्षियों का निवास स्थान है… झील पर दक्षिणी यूरोप और मध्य एशियाई सारस, तेंदुए, हिरन और बारहसिंगा को भी देखा जा सकता है…
Jodhpur जोधपुर आने वाले पर्यटकों के लिए मारवाड़ और जोधपुर की संस्कृति को समझने का सबसे ख़ास मौका होता है मारवाड़ उत्सव…ये उत्सव सितंबर और अक्तूबर के बीच मनाया जाता है…मारवाड़ उत्सव जोधपुर और यहाँ के लोगों के लिए खुशियां मनाने और नाचने-गाने का मौका होता है… इस दौरान पूरा जोधपुर घूमर की लहर, लंगा-मांगणियार के सुर-ताल और माण्ड गायिकी में डूब जाता है…इस मौके पर सभी स्मारकों को रोशनी और फूलों से सजाया जाता है…हजारों पर्यटक मारवाड़ उत्सव में शामिल होने विदेश से भी आते हैं… यहां टूरिस्ट्स को मारवाड़ के पूर्व शासकों से जुड़ी कहानियां सुनने का मौका मिलता है…मारवाड़ उत्सव में 2 दिन के मेले उम्मेद भवन पैलेस, मण्डोर और मेहरानगढ़ किले जैसी जगहों पर लगाए जाते हैं…मेलों में ऊँट सवारी, टैटू शो और पोलो भी शामिल होते हैं…
जब पर्यटक Jodhpur जोधपुर में आते हैं तो ऊँट सफारी का आनंद ज़रूर लेते हैं…राजस्थान के बेहद आकर्षक रेगिस्तान का पता लगाने का इससे शानदार तरीका कोई नहीं है… रेगिस्तानी टीलों, पुरानी हवेलियों, मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा ऊँट सफारी के ज़रिए की जा सकती है…