Best films to watch in Hindi | Section 375 Review | Best Films to watch with Friends
Best films to watch in Hindi | Section 375 Review | Best Films to watch with Friends
Section 375 Review भारत को रेप कैपिटल कहने वालों का एजेंडा तथ्यों के साथ ध्वस्त करती है फिल्म सेक्शन 375

फिल्म सेक्शन-375 करती है ऐलान
कुछ भी बोले दुनिया, भारत नहीं है रेपिस्तान
2012 में बी. ए. पास नाम की फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर अजय बहल की ही फिल्म है सेक्शन-375(Best films to watch in Hindi)
2019 में आई ये फिल्म एक डायरेक्टर पर लगे बलात्कार के आरोप की कहानी है. फिल्म के राइटर मनीष गुप्ता कह चुके हैं कि ये फिल्म शाइनी आहूजा केस से इन्स्पायर्ड है. फिर भी कहानी अच्छी है.
डायरेक्टर रोहन खुराना यानी राहुल भट्ट पर उनकी ही फिल्म की कॉस्ट्यूम असिस्टेंट रेप का आरोप लगाती है.

मीरा चोपड़ा यानी अंजलि दाम्ब्ले के साथ रेप हुआ है या नहीं इसे साबित करने के लिए फिल्म में दो वकीलों के बीच कानूनी लड़ाई होती है. अंजलि की तरफ़ से प्रॉसीक्यूटर हीरल गांधी के रोल में हैं ऋचा चड्ढा और रोहन खुराना को बचाने के लिए उनका केस लड़ते हैं तरुण सलूजा यानी अक्षय खन्ना.

वकील तरुण सलूजा का साफ़ मानना है कि The Law is not equal to justice. यानी कानून का मतलब इंसाफ़ नहीं है. तरुण के मुताबिक इंसाफ़ तो एक आदर्श स्थिति है जबकि कानून के ज़रिए उस आदर्श स्थिति तक पहुंचा जा सकता है. वो भी हमेशा नहीं, कभी-कभी.

ऋचा और अक्षय खन्ना में से केस कौन जीतता है ये तो फिल्म के अंत में पता चलता है लेकिन अदालत में अक्षय खन्ना छाये रहते हैं. केस में सारे सबूत अक्षय के क्लाइंट के खिलाफ़ हैं. सारे सबूत ऋचा के पक्ष में होने के बावजूद जब वो अपनी दलील को और वज़नदार बनाने के लिए भारत को रेप कैपिटल साबित करने की कोशिश करती हैं तो जवाब में सामने आती है अक्षय खन्ना की बेहतरीन एक्टिंग.

ऋचा रेप कैपिटल के तौर पर उस देश का नाम नहीं लेतीं जहां हर एक-दो मिनट में रेप का केस सामने आता है बल्कि हर बीस मिनट में रेप का आंकड़ा देकर भारत को दुनिया की रेप कैपिटल बता देती हैं. इसके जवाब में अक्षय भारत को रेप कैपिटल बताने के हवा हवाई बयानों की बखिया उधेड़ देते हैं. वो भी फैक्ट्स के साथ.

जब आप अदालत में ऋचा चड्ढा और अक्षय खन्ना की बहस देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि ऋचा अपनी मुट्ठी को हाथ पर पटक कर और चिल्ला-चिल्ला कर भी कोई असर नहीं छोड़ पातीं जबकि अक्षय खन्ना सिर्फ अपने चेहरे के भाव से ही दर्शक को प्रभावित करने में सफल हो जाते हैं.
अंजलि के रोल में मीरा कपूर सुंदर भी दिखी हैं और पीड़ित भी. अक्षय की पत्नी के रोल में संध्या मृदुल थोड़ी बीमार दिखी हैं. डॉक्टर के छोटे रोल में दिब्येंदू भट्टाचार्य ने हमेशा की तरह अपनी छाप छोड़ी है. राहुल भट्ट रेप के आरोपी ‘लगने’ में कामयाब रहे हैं. हाईकोर्ट के दोनों जज भी ठीक हैं.
एक लाइन में कहें तो ये फिल्म भारत को रेप कैपिटल कहने वालों का एजेंडा तथ्यों के साथ ध्वस्त करती है. अगर आपने ये फिल्म देखी है तो अपनी राय कॉमेन्ट में ज़रूर लिखें.
और अगर आप चाहते हैं कि मैं आपके लिए कुछ देखने लायक फिल्में सजेस्ट करूं तो कॉमेंट बॉक्स में येस ज़रूर लिखें.
नमस्कार.