7 सपा विधायकों का खेला, अखिलेश को छोड़ा अकेला
7 सपा विधायकों का खेला, अखिलेश को छोड़ा अकेला
यूपी से भरी जाने वाली… राज्यसभा की दस सीटों के लिए… 27 फरवरी के मतदान से पहले ही… सपा के विधायकों ने अखिलेश यादव के साथ ही खेला कर दिया. अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनाव के लिए होने वाली वोटिंग से पहले एक डिनर मीटिंग बुलाई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस डिनर मीटिंग में सपा के 6 से 8 विधायक पहुंचे ही नहीं. अखिलेश ने ये बैठक बुलाई तो थी अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए और ये संकेत देने के लिए कि उनके विधायक उनके साथ हैं.
अखिलेश ये बताना चाहते थे कि सपा के विधायक पार्टी के हित में राज्यसभा चुनाव में सपा के प्रत्याशियों के समर्थन में ही वोट करेंगे. लेकिन ये बैठक ही सपा की कमज़ोरी का सबूत बनकर दुनिया के सामने आ गई.
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि चायल विधायक पूजा पाल,
गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह,
गोसाईगंज विधायक अभय सिंह,
अमेठी विधायक महाराजी देवी,
काल्पी विधायक विनोद चतुर्वेदी,
ऊंचाहार विधायक मनोज पांडेय
और
अंबेडकरनगर विधायक राकेश पांडेय सपा की बैठक और डिनर में शामिल नहीं हुए.
इन विधायकों में से महाराजी देवी, गायत्री प्रसाद प्रजापति की पत्नी हैं. महाराजी देवी को लेकर एनडीए की घटक सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने दावा किया था कि वो क्रॉस वोटिंग कर सकती हैं.
इसके अलावा राकेश पांडेय के नाम पर भी पहले से सस्पेंस था. हाल ही में राकेश पांडेय के बेटे रितेश पांडेय, बसपा का दामन छोड़, भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं. रितेश, फिलहाल अंबेडकरनगर लोकसभा संसदीय क्षेत्र के सांसद हैं.
मैंने पिछले एक वीडियो में आपको बताया था कि यूपी से राज्यसभा की 10 सीटों के लिए 11 प्रत्याशी मैदान में हैं. इसमें से 8 बीजेपी और 3 सपा के हैं.
सपा ने इस चुनाव में तीन प्रत्याशियों-
जया बच्चन,
रामलाल जी सुमन
और आलोक रंजन को प्रत्याशी बनाया है.
जबकि यूपी से BJP के राज्यसभा उम्मीदवार हैं.
आरपीएन सिंह
सुधांशु त्रिवेदी
चौधरी तेजवीर सिंह
साधना सिंह
अमरपाल मौर्य
संगीता बलवंत
नवीन जैन
और
संजय सेठ
403 विधायकों वाली यूपी की विधानसभा में बीजेपी के 252,
सपा के 108,
कांग्रेस के 2,
निषाद पार्टी 6,
सुभासपा 6,
अपना दल सोनेलाल के 13
और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के 2 विधायक हैं.
इसके अलावा एक विधायक बसपा का भी है. हालांकि इसमें से 4 सीट खाली है और 2 विधायकों को जेल से आकर वोट करने की परमिशन नहीं मिली है. ऐसे में कुल मतदाताओं की संख्या 397 है और हर राज्यसभा सीट के लिए 37 वोट की जरूरत है.
यानी सपा को तीन राज्यसभा सीट जीतने के लिए 111 विधायकों के वोट की जरूरत होगी. फिलहाल सपा के 108 विधायक हैं लेकिन इनमें से सपा विधायक इरफान सोलंकी अलग-अलग मामलों में जेल में बंद हैं.
अगर सपा के सभी विधायकों के वोटों को मिला लें और कांग्रेस विधायकों के साथ ही बसपा के एकमात्र विधायक का वोट भी सपा को मिल जाए तब जाकर सपा का तीसरा राज्यसभा उम्मीदवार जीत हासिल कर पायेगा.
हालांकि बसपा विधायक के बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन सपा का साथ कांग्रेस के दो विधायक दे सकते हैं. तब भी उसके पास संख्या बल ज़रूरी 111 से कम होगा. क्योंकि सपा की एक विधायक पल्लवी पटेल पहले ही सपा के समर्थन में वोट करने से इनकार कर चुकी हैं. उस पर 6 से 8 विधायकों ने अखिलेश की मीटिंग से गायब रहकर उनकी चिंता और बढ़ा दी.
खबर ये भी है कि सपा के 8 से दस विधायक बीजेपी में जा सकते हैं. बीजेपी का दावा है कि कई विधायक उसके संपर्क में हैं.
उधर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने दावा किया है कि पार्टी के आठों प्रत्याशी चुनाव जीतेंगे. चौधरी ने कहा, ‘‘विधानसभा में हमारे पास दो तिहाई से अधिक बहुमत है और कई लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में किए गए कार्यों से प्रभावित हैं.”
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राज्यसभा चुनाव को लेकर कहा, “भाजपा के आठों प्रत्याशी राज्यसभा चुनाव जीत रहे हैं और अच्छे अंतर से जीत रहे हैं. राज्यसभा चुनाव को लेकर भाजपा गठबंधन आश्वस्त है.”
इसके अलावा जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह यानी राजा भैया ये पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी पार्टी के दोनों एमएलए, बीजेपी को ही वोट करेंगे.
कुल मिलाकर राज्यसभा की 10वी सीट के लिए चुनाव में भाजपा के आठवें उम्मीदवार की जीत की कुंजी आरएलडी विधायकों के पास है. जयंत चौधरी की पार्टी के नेता अशरफ अली ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम लोग अपने नेता जयंत चौधरी के साथ है. हम लोगों को जो निर्देश हुआ है , उसका हम सभी पालन करेंगे. हम लोगों को स्पष्ट निर्देश हैं कि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को वोट करना है.
हालांकि आरएलडी एनडीए में शामिल हो चुकी है लेकिन क्या उसके विधायक बिना क्रॉस वोटिंग के वो करेंगे ये बड़ा सवाल है.