जेवर में BJP विधायक धीरेंद्र सिंह के सामने RLD के अवतार सिंह भड़ाना
जेवर में BJP विधायक धीरेंद्र सिंह के सामने RLD के अवतार सिंह भड़ाना
जेवर से चुनाव लड़ेंगे भड़ाना?
धीरेंद्र सिंह को हरा पाएंगे?
जिस जेवर को बीजेपी एयरपोर्ट की वजह से डेवेलपमेंट और चुनावी जीत का प्लेटफॉर्म मान रही है उसी जेवर में बीजेपी को जाति की चुनौती देने आ चुके हैं पुराने कांग्रेसी अवतार सिंह भड़ाना. 2017 में बीजेपी के टिकट पर मुज़फ्फरनगर में विधायकी का चुनाव जीते अवतार सिंह भड़ाना बीजेपी के विधायक रहते हुए 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ गए थे. हालांकि जब रिज़ल्ट आया तो भड़ाना को बीजेपी के कृष्ण पाल गुर्जर के हाथों लगभग साढ़े छह लाख वोटों के अंतर से हार झेलनी पड़ी.


पूर्व लोकसभा सांसद अवतार सिंह भड़ाना अब 12 जनवरी 2022 को अजीत सिंह के बेटे की पार्टी आरएलडी यानी राष्ट्रीय लोक दल में शामिल हो गए हैं. आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी से मीटिंग के बाद उन्होंने पार्टी जॉइन कर ली. आरएलडी के ट्विटर हैंडल से दोनों नेताओं के बीच मुलाकात की पिक्चर शेयर की गई. अवतार सिंह भड़ाना 2017 में पश्चिमी यूपी की मीरापुर विधानसभा सीट से विधायक बने थे लेकिन पिछले साल कथित किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए उन्होंने बीजेपी छोड़ने का ऐलान कर दिया था. अवतार सिंह भड़ाना किसान आंदोलन के दौरान काफी सक्रिय रहे थे.
अब किसान आंदोलन खत्म होने के बाद यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए आरएलडी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया है. हालांकि दोनों पार्टियों में सीट बंटवारे को लेकर फाइनल डिसीजन नहीं हुआ है लेकिन अटकलें हैं कि अवतार सिंह भड़ाना आरएलडी के टिकट पर गौतम बुद्ध नगर की जेवर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. यानी उत्तर प्रदेश की मीरापुर विधानसभा सीट से बीजेपी के निलंबित विधायक अवतार सिंह भड़ाना अब जेवर से समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के संयुक्त प्रत्याशी होंगे.
अवतार सिंह भड़ाना तीन बार फरीदाबाद लोकसभा सीट से और एक बार मेरठ लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद रहे हैं. दिल्ली में कांस्टीट्यूशन क्लब में आरएलडी नेताओं के साथ बैठक के बाद अवतार भड़ाना आरएलडी में शामिल हुए. अब अवतार सिंह भड़ाना का जेवर सीट से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। जेवर गुर्जर बाहुल्य विधानसभा सीट है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वोट 10 फरवरी को डाले जाने हैं.
अवतार सिंह भड़ाना 64 साल के हैं और हरियाणा में फरीदाबाद के रहने वाले हैं. इनका सियासी सफर काफी लंबा रहा है. कांग्रेस के टिकट पर वो फरीदाबाद से तीन बार और मेरठ से एक बार सांसद रह चुके हैं. 2017 में बीजेपी के टिकट पर उन्होंने मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और बहुत कम वोटों से चुनाव जीत सके.
भाजपा के विधायक रहते हुए अवतार भड़ाना ने 2019 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा की फरीदाबाद सीट से कांग्रेस के सिंबल पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और मौजूदा केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर से रिकार्ड वोटों से हार गए. ये हार 6 लाख से ज्यादा वोटों की हार थी. इसके बाद से अवतार भड़ाना बेचैन थे. उन्हें शायद अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सता रही थी. इसीलिए किसान आंदोलन के दौरान विधानसभा चुनाव की तैयारी के तहत भड़ाना का गौतमबुद्धनगर में आना जाना बढ़ता गया था. कई बार वो जेवर विधानसभा क्षेत्र के गांवों में भी गए और जाट और गुर्जर बिरादरी के लोगों के कार्यक्रम में भी शामिल हुए.
भड़ाना ने काफी पहले ही अपने इरादे जाहिर कर दिए थे कि वो जेवर से चुनाव लड़ना चाहते हैं.
जेवर की विधानसभा सीट पर बीएसपी का दबदबा रहा है. जेवर सीट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के धीरेंद्र सिंह ने पूर्व मंत्री वेदराम भाटी को हराया था. अब 2022 में अगर बीजेपी धीरेंद्र सिंह को ही जेवर सीट से उम्मीदवार बनाती है तो उनका मुकाबला एसपी आरएलडी के गठबंधन के उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना से हो सकता है.
अवतार भड़ाना के राजनीतिक सफर की शुरूआत की बात करें तो वो 1988 में बिना विधायक बने हरियाणा में देवीलाल की सरकार में मंत्री बन गए थे.
पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल जब 1988 में हरियाणा के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने अवतार भड़ाना का गुर्जरों में बढ़ता कद देखते हुए बिना विधायक बने ही उन्हें छह महीने के लिए मंत्री बना दिया था। इसके बाद अवतार भड़ाना 1991 में फरीदाबाद से सांसद बन गए। भड़ाना ने इस दौरान कांग्रेस के बैनर तले जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश की गुर्जर बिरादरी में अपनी पैठ बढ़ाई। भड़ाना को तब गुर्जरों का इमाम तक कहा जाने लगा था।
1989 में वो राजस्थान की दौसा सीट से जनता दल के टिकट पर कांग्रेस नेता राजेश पायलट के सामने चुनाव हार गए थे.
1991 में फरीदाबाद से वो कांग्रेस के टिकट पर पहली बार सांसद बने.
लेकिन 1996 में फरीदाबाद सीट से ही बीजेपी के रामचंद्र बैंदा से चुनाव हार गए.
1998 में भड़ाना को फरीदाबाद से कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वो समाजवादी जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ गए लेकिन एक बार फिर बीजेपी के रामचंद्र बैंदा ने उन्हें चुनाव हरा दिया.
इसके बाद 1999 में भड़ाना मेरठ से कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार सांसद बने।
2004 में फरीदाबाद से कांग्रेस के टिकट पर वो तीसरी बार सांसद बने।
2009 में फरीदाबाद से ही कांग्रेस के टिकट पर चौथी बार सांसद बने।
लेकिन 2014 में मोदी लहर में फरीदाबाद में कांग्रेस के टिकट पर बीजेपी के कृष्णपाल गुर्जर से हार गए
इसके बाद 2015 में भड़ाना ने कांग्रेस छोड़कर हरियाणा की इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी जॉइन कर ली.
फिर एक साल बाद 2016 में अवतार भड़ाना भाजपा में शामिल हुए और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य बने. अगले साल यानी 2017 में यूपी में हुए विधानसभा चुनाव में अवतार भड़ाना मीरापुर सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक बने.
कहा जाता है कि अवतार भड़ाना की पत्नी ममता भड़ाना कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के काफी नजदीक हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव और हरियाणा प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अवतार को टिकट देने के खिलाफ थे. तब भड़ाना के बदले फरीदाबाद से पूर्व विधायक ललित नागर को कांग्रेस का लोकसभा प्रत्याशी बनाया गया था. इसके बाद भड़ाना की पत्नी ममता ने ही प्रियंका गांधी से बात करके ललित नागर का टिकट कटवाकर अवतार को टिकट दिलवाया था। हालांकि इस चुनाव में भी अवतार सिंह भड़ाना बुरी तरह हार गए थे. अब वो आरएलडी की शरण में हैं.
वैसे अवतार भड़ाना के बड़े भाई करतार भड़ाना हरियाणा सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं। करतार 1996 और 2000 में पानीपत के समालखा से विधायक बने। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला मंत्रिमंडल में वो दो बार कैबिनेट मंत्री रहे. अवतार के भाई करतार भड़ाना 2012 में उत्तर प्रदेश के खतौली से राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर विधायक बन चुके हैं। फिलहाल करतार भड़ाना बीजेपी में हैं.वैसे 2019 के लोकसभा चुनाव में करतार ने भी मध्यप्रदेश के मुरैना में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के सामने बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन हारने के बाद 19 अक्टूबर 2019 को करतार भड़ाना बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने बीजेपी में शामिल हो गए थे।
उधर अवतार सिंह भड़ाना बीजेपी के विधायक होने के बावजूद अपने लिए रास्ते ढूंढने में लगे रहे हैं.
22 सितंबर 2021 को गौतमबुद्धनगर के दादरी में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण होना था। इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए थे. उनके आने से पहले मिहिर भोज के नाम के आगे लिखा गुर्जर हटा दिया गया था जिसके बाद गुर्जर भड़क गए थे. योगी सरकार के खिलाफ गुर्जर बगावत पर उतर आए। अगले दिन चिटहेरा गांव में 25 हजार से अधिक गुर्जरों की पंचायत हुई। जिसमें अवतार सिंह भड़ाना भी अपने समर्थकों के साथ पहुंचे थे. बीजेपी विधायक अवतार सिंह भड़ाना ने तब अपने ही मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.
अब भड़ाना आरएलडी के टिकट पर बीजेपी के प्रत्याशी के सामने चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं. देखना होगा कि जेवर की जनता फिर से बीजेपी उम्मीदवार को चुनती है या अवतार सिंह भड़ाना को.