चले थे NDA तोड़ने, सपा तुड़वा बैठे अखिलेश
चले थे NDA तोड़ने, सपा तुड़वा बैठे अखिलेश
यूपी से दस राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव का नतीजा सामने आ चुका है. राज्यसभा चुनाव को लेकर अखिलेश यादव का बड़बोलापन और ओवरकॉन्फिडेंस उन्हें ले डूबा.
जो अखिलेश यादव बीजेपी के सहयोगी दलों को तोड़ने के बड़े बड़े दावे कर रहे थे वो अपने ही विधायकों को एकजुट नहीं रख पाये और उनका एक उम्मीदवार चुनाव हार गया.
यूपी से भरने वाली 10 राज्यसभा सीटों के लिए हुए मतदान में समाजवादी पार्टी के चीफ व्हिप यानी मुख्य सचेतक समेत सात से नौ विधायकों ने अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ़ वोटिंग कर दी.
अपने ही विधायकों की बग़ावत से आलोक रंजन के रूप में सपा का एक राज्यसभा उम्मीदवार चुनाव हार गया और बीजेपी के आठों राज्यसभा उम्मीदवार चुनाव जीत गए.
सपा की तरफ़ से जया बच्चन और रामजीलाल सुमन राज्यसभा चुनाव जीते हैं.
बीजेपी के साथ गये सपा के इन विधायकों ने साबित कर दिया कि जो अखिलेश एनडीए के घटक दलों को अपने साथ मिलाने की प्लानिंग कर रहे थे उन्हें ये ही नहीं पता था कि ख़ुद उनकी पार्टी के नेता ही उन्हें छोड़कर जा चुके हैं.
मंगलवार को राज्यसभा चुनाव के दौरान जब सपा के चीफ व्हिप मनोज पांडेय ने अपने पद से इस्तीफा दिया तब जाकर अखिलेश को पता चला कि बाज़ी उनके हाथ से निकल चुकी है.
राज्यसभा चुनाव में जनता की सीधे भागीदारी भले न हो, लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले ‘परसेप्शन’ की लड़ाई की लिहाज से सपा को झटका जरूर लगा है।
क्योंकि कई बड़े नेता सपा से नाराज़ होकर बीजेपी के साथ गये हैं. मनोज पांडेय रायबरेली जिले की ऊंचाहार सीट से लगातार तीसरी बार सपा से विधायक बने थे। वो सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। पार्टी ने इस बार विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाया था।
इसके अलावा राकेश पांडेय 2002 में अंबेडकर नगर की जलालपुर सीट से बसपा के विधायक बने थे. 2009 में बसपा से ही अंबेडकर नगर के एमपी बने। 2014 का चुनाव वो हारे थे। फिर 2022 में सपा में आए और जलालपुर से फिर विधायक बने।
अगला नाम है राकेश प्रताप सिंह का जो अमेठी जिले की गौरीगंज विधानसभा सीट से 2012 में पहली बार सपा से विधायक बने थे। 2017 और 2022 में भी सीट बरकरार रखी थी।
सपा से दूर हुए अगले विधायक हैं अभय सिंह जिनकी गिनती बाहुबलियों में होती है. ये 2012 में पहली बार अयोध्या की गोसाईगंज सीट से सपा विधायक बने। 2017 में हालांकि हार गये थे लेकिन 2022 में फिर सपा के टिकट पर जीते।
एक और विधायक पूजा पाल राजू पाल की पत्नी हैं। उनके पति की हत्या माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ ने की थी। 2007 और 2012 में इलाहाबाद वेस्ट से पूजा बसपा की विधायक रहीं। 2022 में सपा में आईं और कौशांबी की चायल सीट से विधानसभा पहुंचीं।
इसके अलावा आशुतोष मौर्य बदायूं की बिसौली सीट से 2012 में पहली बार सपा के टिकट पर विधायक बने। 2017 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2022 में बिसौली सीट से फिर विधानसभा पहुंचे।
अगले नेता विनोद चतुर्वेदी ने कांग्रेस से राजनीति शुरू की। 2007 में उरई सदर से विधायक बने। इसके बाद ये सीट सुरक्षित हो गई। 2022 में उन्होंने सपा का दामन थामा और कालपी से विधायक चुने गए।
कुल मिलाकर बदायूं, अंबेडकरनगर, जालौन, अयोध्या, और कौशांबी जैसी लोकसभाओं से आने वाले विधायकों का पाला बदलना समाजवादी पार्टी की चुनावी तैयारियों और माहौल पर भी असर डालेगा।
हालांकि मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया था कि समाजवादी पार्टी के टूटे विधायक पिछले दो दिनों से लगातार सीधे अमित शाह के संपर्क में थे. फोन के जरिए इन विधायकों से अमित शाह की बात हो रही थी.
यहां ये क्लीयर करना ज़रूरी है कि ये हमारी अपनी खबर नहीं है बल्कि एक मीडिया रिपोर्ट है जिसमें सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल एक सीक्रेट विज़िट पर लखनऊ आए थे और उन्होंने सपा से नाराज़ विधायकों से बात की थी.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सुनील बंसल ने ही विधायकों की अमित शाह से बात कराई थी. बातचीत में अमित शाह ने आश्वासन दिया कि अगर ये विधायक इस्तीफा देते हैं तो इन्हें बीजेपी से चुनाव लड़ाया जाएगा.
आश्वासन ये भी दिया गया कि अगर ये विधायक चुनाव हारते हैं तो इन्हें विधान परिषद या निगम बोर्ड के चैयरमेन पद पर समायोजित किया जाएगा.
अपने तीसरे उम्मीदवार की हार का अहसास होने के बाद एक बार फिर पीडीए का राग अलापा. अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि राज्यसभा की तीसरी सीट दरअसल सच्चे साथियों की पहचान करने की परीक्षा थी और ये जानने की कि कौन-कौन दिल से PDA के साथ और कौन अंतरात्मा से पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ है. अखिलेश ने लिखा कि अब सब कुछ साफ़ है, यही तीसरी सीट की जीत है.
यानी अखिलेश… मनोज पांडेय जैसे अपने ताकतवर विधायकों की नाराज़गी को अभी भी अहमियत देने के मूड में नहीं है. अखिलेश ये भी नहीं समझ पा रहे कि पीडीए की बात करने और राज्यसभा में पीडीए को ना भेजने से पिछड़ा वर्ग तो नाराज़ हो ही रहा है, पार्टी के सवर्ण विधायक भी उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.
उधर शिवपाल यादव ने भी बीजेपी के समर्थन में वोट देने वाले अपने विधायकों के बारे में कहा कि अब अंतरात्मा के साथ- साथ सम्पूर्ण आत्मा की जांच जनता करेगी। विधायकों को भटकती आत्मा बताते हुए शिवपाल ने कहा कि अब ऐसी भटकती हुई आत्माएं हमेशा के लिए शांत हो जाएंगी।
अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने विद्रोह करने वाले विधायकों को संदेश दिया कि उन पर कार्रवाई होगी। अखिलेश के एक और चाचा रामगोपाल यादव ने बीजेपी के उम्मीदवार को वोट देने वाले सपा विधायकों को कुकुरमुत्ता बताया.
हालांकि यही रामगोपाल पहले दावा कर रहे थे उनके सभी तीनों प्रत्याशी चुनाव में जीत दर्ज करेंगे. रामगोपाल का ये रवैया पार्टी से नाराज़ हर नेता के प्रति रहा है. चाहे वो स्वामी प्रसाद मौर्य हों या पल्लवी पटेल हों.
रामगोपाल ने कहा कि जनता के साथ धोखा करने वालों पर कार्रवाई होगी। मनोज पांडेय के चीफ व्हिप पद से इस्तीफा देने पर उन्होंने कहा कि वो खत्म हो चुके हैं.