ओपी राजभर पनौती, या इंडी के लिए चुनौती?

ओपी राजभर पनौती, या इंडी के लिए चुनौती?

ओम प्रकाश राजभर… एक ऐसा नाम जिसे आप पसंद करें या ना करें लेकिन आप पीले झंडे वाली पार्टी के इस नेता को इग्नोर नहीं कर सकते.

इसकी वजह है उत्तर प्रदेश की राजनीति में ओपी राजभर का धीरे धीरे बढ़ता कद. 2017 के विधानसभा चुनाव में 4 सीटें जीतने वाली उनकी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा… 2022 के विधानसभा चुनाव में 6 सीटें जीत कर पहले से काफी ताकतवर हो चुकी है.

सुभासपा के इस समय यूपी में कांग्रेस और बीएसपी दोनों से ज्यादा विधायक हैं. सुभासपा ऐसी दो पार्टियों से… बड़ा दल है जो यूपी में अपने दम पर सरकार बना चुकी हैं.

उत्तर प्रदेश की विधानसभा में मौजूदा स्थिति को देखते हुए तो 6 विधायकों की संख्या सरकार बनाने या गिराने के लिहाज़ से कोई वैल्यू नहीं रखती लेकिन यूपी से भरी जाने वाली राज्यसभा सीटों के लिहाज़ से 6 विधायक एक बड़ी और महत्वपूर्ण संख्या है.

सुभासपा के विधायकों के संख्या बल की वजह से ही बीजेपी भी उन ओमप्रकाश राजभर को भाव देने को मजबूर है जो 2 साल पहले तक बीजेपी नेताओं को बुरी तरह हड़काया करते थे.

22 फ़रवरी को खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में अपने घर पर ओपी राजभर और उनकी पार्टी के चार विधायकों से मुलाकात की. राजभर और उनकी पार्टी के विधायकों ने योगी आदित्यनाथ को आश्वासन दिया कि वो सब एकजुट होकर एनडीए के राज्यसभा प्रत्याशी को जिताएंगे.

फिलहाल यूपी विधानसभा में सुभासपा के कुल 6 सदस्य हैं.
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में
जहूराबाद से
ख़ुद ओमप्रकाश राजभर,
जखनिया से बेदीराम, बेल्थरारोड से हंसू राम,
मऊ सदर से अब्बास अंसारी,
जफराबाद से जगदीश नारायण
और
महादेवा सीट से दूधराम विधायक बने थे.

2017 के बाद 2022 का विधानसभा चुनाव लगातार दूसरा ऐसा मौका था जब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने पूर्वांचल में अपना दम साबित किया था.

2017 में वो एनडीए का हिस्सा बने थे और एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला था.
इसके बाद 2022 में राजभर ने समाजवादी पार्टी का साथ दिया था. हालांकि सपा की सरकार तो नहीं बनी लेकिन उसने अपनी सीटों की संख्या को 47 से बढ़ाकर 100 से ऊपर पहुंचा दिया था.

अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वो एक बार फिर एनडीए के साथ हैं.

हालांकि ओपी राजभर चुनाव दर चुनाव अपनी पार्टी को भले ही मज़बूत कर रहे हैं. लेकिन एक मामले में वो असफल रहे हैं.
ओमप्रकाश राजभर के तमाम प्रयासों के बावजूद पिछले दो चुनावों में उनके बेटे को विधानसभा पहुंचने का मौका नहीं मिल पाया है.

2022 में वाराणसी जिले की शिवपुर विधानसभा सीट पर सुभासपा के महासचिव और ओमप्रकाश के पुत्र अरविंद राजभर को यूपी सरकार के मंत्री अनिल राजभर ने हरा दिया था और 2017 में बलिया जिले की बांसडीह सीट पर उन्हें बीजेपी के सर्मथित उम्मीदवार होने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा था.

2017 में सुभासपा का गठबंधन भाजपा के साथ था. उस समय उसके खाते में चार सीटें आईं थीं. पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर योगी कैबिनेट में मंत्री भी बनाए गये थे लेकिन बड़बोलेपन और अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाज़ी की वजह से उनकी मंत्रिमंडल से विदाई हो गई थी.

2022 में सुभासपा ने अपनी ताकत तो बढ़ाई लेकिन जल्द ही उसे अहसास हो गया कि सपा के साथ रहने से उसे कुछ हासिल होने वाला नहीं है. इसलिए वो 2023 में सपा को छोड़कर वापस एनडीए में आ गये.

हालांकि एनडीए में उन्हें शामिल तो कर लिया गया लेकिन अभी तक यूपी सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया है.

ओम प्रकाश राजभर जब से एनडीए का हिस्सा बने हैं तभी से उनके मंत्री बनने को लेकर भी कई तरह के क़यास लगाए जा रहे हैं. कई बार इस तरह की ख़बरें सामने आई कि जल्द ही उन्हें योगी सरकार में कोई मंत्रीपद दिया जा सकता है, लेकिन अब तक न तो योगी मंत्रीमंडल का विस्तार हुआ है और न ही ओम प्रकाश राजभर मंत्री बने हैं.

बीच-बीच में राजभर बयान देते रहते हैं कि उन्हें जल्द ही मंत्री बनाया जाएगा लेकिन उनकी मुराद पूरी नहीं हो रही है. शायद इसके पीछे वजह है ओपी राजभर का बड़बोलापन और कभी भी कुछ भी बोल देने की आदत. बीजेपी 2017 की उनकी हरकतों की वजह से भी उन्हें मंत्री बनाने से झिझक रही है.

हालांकि राजभर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर चुके हैं और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी कई बार मिल चुके हैं. अब तो सोशल मीडिया पर भी जनता उनसे पूछने लगी है कि वो कब यूपी सरकार में मंत्री बनेंगे.

बीजेपी अभी उन्हें इसलिए भी मंत्री नहीं बना रही क्योंकि 2022 में उसने ओपी राजभर के एनडीए के विरोध में होने के बावजूद सरकार बनाई है. बीजेपी की सरकार में सुभासपा का कोई भी कॉन्ट्रीब्यूशन नहीं है. शायद बीजेपी चाहती है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में सुभासपा एनडीए के घटक के तौर पर अच्छा प्रदर्शन करे. 
उत्तर प्रदेश से बीजेपी सांसदों को जीतने में मदद करे, उसके बाद राजभर को मंत्री बनाने के बारे में सोचा जाएगा.

यहां एक बात और ध्यान देने वाली है कि 2023 में सुभासपा के एनडीए में आने के बावजूद घोसी लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है.

ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ बीजेपी का गठबंधन हुआ था और घोसी से सपा विधायक दारा सिंह चौहान सपा की सदस्यता और विधायिकी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. वो बीजेपी के बैनर तले घोसी से उप चुनाव लड़े लेकिन हार गये.

घोसी में हुए उपचुनाव में बीजेपी की हार के बाद से ही ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान को मंत्री पद मिलने की राह कठिन हो गई है. हालांकि राजभर तो राजभर हैं. अब उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए के घटक के तौर पर यूपी में 3 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की डिमांड रख दी है.

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश की तीन और बिहार की दो सीटों पर अपना दावा ठोंक दिया है। सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने यूपी के मऊ में कहा कि उन्होंने एनडीए में तीन सीटों की मांग की है।

राजभर ने कहा कि अगर उनकी पार्टी को ये सीटें मिलती हैं तो वो अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करेंगे। राजभर ने कहा कि उनकी मांग बिहार में भी दो सीटों पर चुनाव लड़ने की है। 
यूपी की जिन तीन सीटों पर राजभर ने दावा किया है उनमें घोसी, सलेमपुर और गाजीपुर लोकसभा सीट शामिल हैं. उन्होंने महाराजा सुहेलदेव को भारत रत्न देने की भी मांग की है.

इसके साथ साथ ओपी राजभर ने ये भी दावा किया कि 2024 में एनडीए यूपी में 80 की 80 लोकसभा सीटों जीतने जा रहा है. उन्होंने कहा कि इंडी गठबंधन मिलकर लड़े या अलग-अलग लड़े उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि इंडी गठबंधन के पास कोई ताकत नहीं है. पूरा देश मोदी जी को प्रधानमंत्री बनने के लिए तत्पर है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने जब तक जितने भी प्रत्याशियों को घोषित किया है वो सभी हारने वाले हैं.

ओपी राजभर का मानना है कि भाजपा सरकार में मुस्लिम समाज के लोगों का विकास तेजी से हुआ है। मुस्लिम समाज के युवा पढ़ाई करके डाक्टर और इंजिनियर बन रहे है।

उन्होंने कहा कि सपा और कांग्रेस की सरकार में आय दिन दंगे होते थे। दोनों सरकारों में मुस्लिम समाज के बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया था। सपा और कांग्रेस ने मुस्लिम समाज को कब्रिस्तान और नफरत के अलावा कुछ नहीं दिया. जबकि सात वर्ष के अंदर भाजपा की सरकार में प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ है। 
अन्य पिछड़ा वर्ग के बारे में राजभर कहते हैं कि पूर्व की सरकारों ने पिछड़े वर्ग के हक को लूटा है। अब विपक्ष पिछड़े वर्ग की चिंता छोड़ दे।पिछड़ा वर्ग भाजपा का वोटर बन चुका है।

राजभर के मुताबिक जयन्त चौधरी के एनडीए में शामिल होने पर पश्चिमी यूपी में भी एनडीए को भारी बहुमत मिलने जा रहा है.

हालांकि एनडीए में यूपी के लिए अब तक सीट बंटवारे के मुद्दे पर कोई फैसला नहीं हुआ है.
एनडीए के घटक दल अपना दल सोनेलाल, निषाद पार्टी और सुभासपा अपनी अपनी मांग रखते रहते हैं लेकिन बीजेपी ने ना तो किसी की मांग को नकारा है और ना ही किसी की मांग स्वीकार की है.

बीजेपी ने इतना ज़रूर किया है कि वो विपक्षी गठबंधन को एक के बाद एक कई झटके दे चुकी है. बीजेपी ने पहले सुभासपा और फिर जयंत चौधरी की आरएलडी को एनडीए में शामिल कर लिया है

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