अखिलेश ने कहा चल निकल? Swami Prasad Mourya Quits as General Secretary of Samajwadi Party
अखिलेश ने कहा चल निकल? स्वामी प्रसाद हो गया पैदल
अखिलेश ने कहा चल निकल? Swami Prasad Mourya Quits as General Secretary of Samajwadi Party
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा देने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के पर कतरने की कहानी सिर्फ उतनी नहीं है जितनी दिखाई दे रही है.
समाजवादी पार्टी में स्वामी प्रसाद मौर्य उसी दिन पैदल हो गये थे जिस दिन पार्टी के नेताओं ने उन्हें पागल बताना शुरू कर दिया था. रायबरेली में ऊंचाहार सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक मनोज पांडेय ने कई दिन पहले ही बता दिया था कि स्वामी प्रसाद मौर्य का दिमाग हिला हुआ है.
मनोज पांडे ने कहा था कि जो व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो चुका है, वो ऐसे ही बोलता रहेगा।” पांडे ने कहा था कि पार्टी ने स्वामी प्रसाद मौर्य को कई बार कहा है, लेकिन अगर कोई विक्षिप्त व्यक्ति पार्टी का निर्देश नहीं सुन रहा है तो कोई कुछ नहीं कर सकता.
मनोज पांडे ये भी कह चुके थे कि अपनी राजनीति को चमकाने के लिए कोई भी नेता धर्म को निशाना न बनाए. मनोज के मुताबिक एसपी सभी धर्मों का सम्मान करती है. और किसी को किसी भी जाति व धर्म के खिलाफ बोलने का अधिकार नहीं है.
समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह समेत कई और नेता भी मौर्य को समझा चुके थे कि उन्हें धार्मिक मुद्दों पर हर दिन बोलने से बचना चाहिए लेकिन बड़बोले स्वामी प्रसाद चुप होने का नाम नहीं ले रहे थे.
वो वाकई आए दिन हिन्दुओं और सनातन धर्म के विरुद्ध अपमानजनक बातें कहते रहते थे. शुरुआत में तो माना गया कि अखिलेश यादव की शह पर ही स्वामी प्रसाद मौर्य ये हरकतें कर रहे हैं लेकिन जब मौर्य ने लिमिट क्रॉस कर दी तो समाजवादी पार्टी को लगने लगा कि अब ये आदमी बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा है.
जिस समय पूरा देश राममय होकर राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का आनंद उठा रहा था उस समय भी स्वामी नाम का ये प्राणी भगवान और उनके भक्तों का अपमान करने में लगा हुआ था.
जब पार्टी नेताओं ने मौर्य को समझाने की कोशिश की तो मौर्य ने उन्हें ही लपेटना शुरू कर दिया. रोज़ाना जातिगत बंटवारे की बातें करके जो स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते थे. उन्होंने अपनी पार्टी के ही मनोज पांडेय पर ब्राह्मण होने के नाते बीजेपी का एजेंट होने का आरोप लगा दिया.
जब पानी सिर से ऊपर चला गया और विधानसभा चुनाव हारा हुआ नेता मौर्य… जीते हुए विधायकों को बीजेपी का एजेंट बताने लगा तो शायद अखिलेश यादव ने सोचा होगा कि अब इसे लात मारने में ही पार्टी की भलाई है.
अखिलेश इतना तो जानते ही हैं कि रोजाना हिन्दुत्व को गाली देने वाला नेता मौर्य रोज़ के हिसाब से हिन्दुओं को एसपी से दूर कर रहा है. अखिलेश अगर खुद उसे महासचिव पद से हटाते या पार्टी से निकालते तो उसका संदेश गलत जाता और मौर्य गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाता कि उस जैसे पीड़ित के साथ अन्याय किया गया है. इसीलिए शायद अखिलेश ने मौर्य को धीरे से समझा दिया कि मौर्य जी भलाई इसी में है कि खुद ही महासचिव का पद छोड़ दो.
मौर्य को पार्टी में अपनी औकात समझ में आने लगी थी और दबाव को समझते हुए उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया. इसकी जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स के जरिए दी. उन्होंने पोस्ट के जरिए अखिलेश यादव और पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल को भी टैग किया.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा देने का कारण भी बताया. मौर्य ने एक्स पर एक लेटर भी पोस्ट किया जो उन्होंने अखिलेश यादव को लिखा है. समाजवादी पार्टी पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए उन्होंने लिखा कि अगर राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो ऐसे भेदभाव पूर्ण और महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है. यही वजह है कि वो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से त्यागपत्र दे रहे हैं.
मज़े की बात ये है कि मौर्य ने 2022 विधानसभा चुनाव में
समाजवादी पार्टी को मिली सीटों का क्रेडिट खुद को दिया है. उन्होंने लिखा कि सपा के पास जहां मात्र 45 विधायक थे वहीं पर विधानसभा चुनाव 2022 के बाद ये संख्या 110 विधायकों की हो गई थी.
मौर्य ने अखिलेश यादव पर भेदभाव का आरोप तो लगाया ही साथ ही ये भी लिखा कि सपा को मज़बूत करने के लिए उनके सुझावों पर अखिलेश ने अमल नहीं किया. मौर्य ने लिखा कि उन्होंने वंचितों की मांगों के लिए निकाली जाने वाली एक यात्रा की बात अखिलेश से कही थी और अखिलेश ने वादा भी किया था कि ये यात्रा निकाली जाएगी लेकिन ये यात्रा नहीं निकाली गई.
2022 में विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारने वाले और अखिलेश की कृपा से विधानपरिषद के सदस्य बनने वाले मौर्य ने लंबी लंबी फेंकते हुए ये भी कहा कि उन्होंने सपा का जनाधार बढ़ाने का काम किया है.
अखिलेश को लिखे लेटर में मौर्य ने जिक्र किया है जब उन्होंने लोगों को पार्टी से जोड़ने की कोशिश की तो पार्टी के ही कुछ छुट भईये और कुछ बड़े नेता मीडिया में ये कहने लगे कि ये “मौर्य जी का निजी बयान है”. मौर्य ने आपत्ति जताई है कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिवों में भेदभाव किया जाता है.
उन्होंने लिखा कि एक राष्ट्रीय महासचिव वो हैं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव ऐसे भी हैं जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है. मौर्य ने पूछा कि एक ही स्तर के पदाधिकारियों में कुछ का बयान निजी और कुछ का बयान पार्टी का बयान कैसे हो जाता है.
स्वामी प्रसाद मौर्य लंबे समय से अपने विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहे हैं. उनके बयानों से सपा और अखिलेश यादव भी कई बार असहज हुए हैं. रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से देशव्यापी विवाद हुआ था.
हालांकि उनके बयानों में दोहरापन साफ नज़र आता है. वैसे तो वो पूजा पाठ और मंदिर को पाखंड और ढकोसला मानते हैं लेकिन जब बात अखिलेश यादव की आई तो उनका खाली दिमाग घास चरने चला गया. जब अखिलेश यादव ने अपने पार्टी दफ्तर में भगवान शालिग्राम की पूजा की तो मौर्य को इसमें पाखंड और दिखावा नजर नहीं आया.
मौर्य ने अखिलेश की पूजा पर कहा कि आराध्य के प्रति पूजा-अर्चना निजी मामला है. हर धर्म का अनुयायी भगवान की पूजा पाठ के लिए स्वतंत्र है. उसके खिलाफ टिप्पणी करना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि लोगों के व्यक्तिगत मामले को सामाजिक सरोकार से नहीं जोड़ना चाहिए.
वहीं रामलला का दर्शन करने जाने वालों पर मौर्य का दिमाग अलग तरीके से चलता है. अयोध्या दर्शन पर उन्होंने कहा कि दर्शन पूजन श्रद्धा से जुड़ा मामला है. पूजा के नाम पर दिखावा, छलावा और नाटक करना ठीक नहीं है.
हालांकि जब अखिलेश पूजा करते हैं तो उसमें मौर्य को दिखावा नहीं दिखाई देता. वैसे अखिलेश यादव की चापलूसी भी मौर्य के किसी काम नहीं आई है और अब वो एसपी में केवल नाम के नेता रह गये हैं.